लीथ सॉफ्टशेल टर्टल यानी निल्सोनिया लेथि CITES-परिशिष्ट II में शामिल
भारत की पहल पर लीथ सॉफ्टशेल टर्टल यानी निल्सोनिया लेथि (Leith’s Softshell Turtle और Nilssonia leithi) को वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों केअंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के परिशिष्ट II से परिशिष्ट I में स्थानांतरित कर दिया गया है। पनामा सिटी में आयोजित CITES-CoP 19 में यह निर्णय लिया गया।
CITES परिशिष्ट I में शामिल किये जाने के मायने
CITES परिशिष्ट I में इस कछुओं की प्रजातियों की सूची को रखा जाना यह सुनिश्चित करेगा कि इन प्रजातियों का वाणिज्यिक उद्देश्यों से कानूनी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न हो।
इससे यह यह भी सुनिश्चित होगा कि इस संरक्षित प्रजाति के सैंपल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केवल पंजीकृत माध्यम से हो और इसके बाद आगे ऐसी प्रजातियों के अवैध व्यापार के लिए उच्च और अधिक आनुपातिक दंड प्रदान दिए जाये।
लीथ सॉफ्टशेल टर्टल
लीथ सॉफ्टशेल टर्टल ताजे पानी का नरम खोल वाला कछुआ है जो प्रायद्वीपीय भारत की नेटिव स्पीशीज है और नदियों और जलाशयों में मिलता है। यह प्रजाति पिछले 30 वर्षों में अत्यधिक दोहन का शिकार हुआ है।
भारत के भीतर अवैध रूप से इसका शिकार किया गया और इसका सेवन भी किया गया। मांस और इसकी कैलीपी के लिए विदेशों में भी इसका अवैध रूप से कारोबार किया गया है।
इस कछुए की प्रजाति की आबादी में पिछले 30 वर्षों में 90%की गिरावट का अनुमान लगाया गया है, जिससे कि अब इस प्रजाति को खोजना मुश्किल है।
इसे अब अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा ‘Critically Endangered’ प्राणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
यह प्रजाति वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची IV में सूचीबद्ध है जो इसे शिकार के साथ-साथ इसके व्यापार से भी सुरक्षा प्रदान करती है।
बटागुर कचुगा
बता दें कि CITES-CoP 19 में जयपुर हिल गेको/Jeypore Hill Gecko (साइरटोडैक्टाइलस जेपोरेंसिस) को परिशिष्ट II में शामिल करने तथा ताजे मीठे पानी में पाए जाने वाले रेड- क्राउन्ड रूफ्ड टर्टल (बटागुर कचुगा/Batagur kachuga) के परिशिष्ट II से परिशिष्ट I में स्थानांतरित करने के भारतीय प्रस्ताव को भी अपना लिया गया।