कैबिनेट ने मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी (MSCS)अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 अक्टूबर को बहु-राज्यीय सहकारी समिति अधिनियम (Multi State Cooperative Societies Act: MSCS) में व्यापक संशोधनों को मंजूरी दी है। अधिनियम को अंतिम बार 2002 में संशोधित किया गया था। ये संशोधन अब संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किए जाएंगे।

MSCS में संशोधन

संशोधन के द्वारा सहकारी समितियों के बोर्ड के कामकाज को पारदर्शी बनाया गया है, इनका पंजीकरण सरल हो जाता है और बोर्डों में महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए सीटें आरक्षित की जा सकती हैं।

साथ ही स्वतंत्र, निष्पक्ष और समय पर सहकारी समितियों के चुनाव कराने के लिए सहकारी चुनाव प्राधिकरण (Cooperative Election Authority) के गठन का प्रावधान किया गया है।

विधेयक में 97वें संविधान संशोधन के प्रावधान शामिल होंगे।

सहकारी बैंकों के बैंकिंग कार्य बैंकिंग विनियमन अधिनियम द्वारा शासित होंगे वहीं अन्य कार्य MSCS अधिनियम और इसके नए संशोधन द्वारा शासित होंगे।

यह अधिनियम केंद्र सरकार को एक MSCS के बोर्ड को धोखाधड़ी या धन के गबन या एक निर्धारित समय के भीतर चुनाव कराने में विफलता के लिए निलंबित करने का भी अधिकार देता है।

यह एक मौजूदा निदेशक के रिश्तेदारों को उसी सहकारी समिति में कर्मचारी के रूप में भर्ती करने पर भी रोक लगाता है।

MSCS के शासन में सुधार के लिए, विधेयक में सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सहकारी सूचना अधिकारी और सहकारी लोकपाल की स्थापना के लिए विशिष्ट प्रावधान हैं।

चुनाव प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र और समयबद्ध तरीके से हों। यह बदले में, शिकायतों और कदाचार की घटनाओं को कम करने में मदद करेगा। अधिक चुनावी अनुशासन लाने के लिए अपराधियों को तीन साल के लिए प्रतिबंधित करने का प्रावधान है।

सहकारिता और मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी

बता दें कि सहकारिता राज्य सूची का विषय है, लेकिन कई ऐसी समितियां हैं जैसे चीनी और दूध, बैंक, दुग्ध संघ आदि जिनके सदस्य और संचालन के क्षेत्र एक से अधिक राज्यों में फैले हुए हैं। ऐसी सहकारी समितियों को नियंत्रित करने के लिए MSCS अधिनियम पारित किया गया था।

MSCS समितियों का प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण केंद्रीय रजिस्ट्रार के पास है। कानून यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी उन पर कोई नियंत्रण नहीं रख सकता है।

वर्तमान में भारत में लगभग 800,000 सहकारी समितियां हैं जिनमें से लगभग 1,600 MSCS हैं। वे एक से अधिक राज्यों में सदस्यों के हितों की सेवा करते हैं। इनमें इफको, कृभको और नेफेड जैसे कुछ बड़े नाम शामिल हैं।

लगभग 1600 MSCS में से अधिकांश महाराष्ट्र (570) में हैं, इसके बाद यूपी (150) और नई दिल्ली (133) हैं।

इनमें क्रेडिट सहकारी समितियां MSCS (610) सर्वाधिक हैं, इसके बाद कृषि-उन्मुख MSCS (244) का स्थान आता है। लगभग 100 बहु-राज्य सहकारी डायरी और 70 बहु-राज्य सहकारी बैंक हैं।

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