उद्यम और सेवा हब (DESH) विधेयक, 2022

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वाणिज्य विभाग द्वारा 29 अगस्त को वाणिज्य भवन नई दिल्ली में वाणिज्य सचिव श्री बीवीआर सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता में उद्यम और सेवा हब विधेयक, 2022 (Development of Enterprises and Services Hub: DESH) के विकास पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसमें ‘देश विधेयक (DESH)’ पर चर्चा की गई थी।

ड्राफ्ट DESH बिल एक दशक से अधिक समय में SEZ कानून के संचालन से सीखे गए सबकों के साथ-साथ हितधारकों से से प्राप्त सुझाव पर आधारित है।

इसके बाद DESH विधेयक के मसौदे पर एक संक्षिप्त विवरण प्रदान करने वाली एक प्रस्तुति दी गई।

DESH विधेयक का उद्देश्य

DESH विधेयक का उद्देश्य विशेष आर्थिक क्षेत्र ( SEZ) कानून में बदलाव करना है। DESH कानून का विकास केंद्रों के माध्यम से घरेलू विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने का एक व्यापक उद्देश्य है।

बता दें कि SEZ नियम, 2006 बहुत धूमधाम से 10 फरवरी, 2006 को लागू हुआ। जून 2022 तक 378 विशेष आर्थिक क्षेत्र ( SEZ) अधिसूचित किए गए थे। और उनमें से, इस साल मार्च तक, 268 एसईजेड चालू थे। बाकी को डी-नोटिफाई किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि SEZ में कुछ खामियां मौजूद हैं।

वित्त वर्ष 2011 में इन SEZ से निर्यात गिरकर 102.3 अरब डॉलर हो गया , जो वित्त वर्ष 2010 में 112.3 अरब डॉलर था। ये अब भारत से निर्यात का 20% से कम हिस्सा हैं।

भारत की मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बनने की योजना को पूरा करने के लिए स्थापित, ये विशेष क्षेत्र उम्मीदों पर खड़े नहीं उतरे क्योंकि प्रतिस्पर्धात्मक लाभ कम हो गया और कई प्रत्यक्ष कर लाभ वापस ले लिए गए।

विश्व व्यापार संगठन पैनल ने 2019 में कहा था कि SEZ में स्थित संस्थाओं को दिए गए प्रोत्साहन सब्सिडी पर समझौते का उल्लंघन करते हैं।

इसलिए अब सरकार ने SEZ नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है और इसलिए DESH विधेयक लाया गया है।

SEZ इकोसिस्टम के विपरीत, सरकार ने विकास केंद्र (developmental hubs) बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिसका ध्यान केवल निर्यात तक ही सीमित नहीं है, बल्कि घरेलू बाजारों की मांग को भी पूरा करने के लिए है।

सीमा शुल्क का भुगतान केवल उपयोग किए गए इनपुट पर किया जाएगा न कि महंगे अंतिम माल पर।

यह विधेयक मौजूदा औद्योगिक संपदाओं जैसे टेक्सटाइल और फूड पार्कों को विकास केंद्रों में परिवर्तित करके एकीकृत करने का भी प्रयास करता है।

DESH विधेयक दो प्रकार के विकास केंद्रों को वर्गीकृत करता है – उद्यम और सेवा केंद्र (Enterprise and services hubs)।

जबकि इंटरप्राइजेज हब में भूमि-आधारित क्षेत्र की आवश्यकताएं होंगी और उन्हें विनिर्माण और सेवा गतिविधियों, दोनों के संचालन लिए अनुमति दी जाएगी, वहीं सर्विसेज हब में विनिर्मित क्षेत्र की आवश्यकताएं होंगी और केवल सेवाओं से संबंधित गतिविधियों के लिए अनुमति दी जाएगी।

ये हब, जो राज्यों के क्षेत्रीय बोर्डों के अंतर्गत आएंगे, केंद्र या राज्यों द्वारा या संयुक्त रूप से दोनों द्वारा या किसी भी वस्तु और सेवा प्रदाता द्वारा बनाए जा सकते हैं।

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