कोडईकनाल सौर वेधशाला की 125वीं वर्षगांठ
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) द्वारा 1 अप्रैल 2024 को आइकोनिक कोडईकनाल सौर वेधशाला ( Kodaikanal Solar Observatory: KSO) की 125वीं वर्षगांठ मनाई गई।
1 अप्रैल 1899 को अंग्रेजों द्वारा स्थापित, इस वेधशाला के पास दुनिया में सूर्य के सबसे लंबे समय तक निरंतर दैनिक ऑब्जरवेशन रिकॉर्ड में से एक है, और अब इस अद्वितीय डेटाबेस को डिजिटल कर दिया गया है और यह दुनिया भर के खगोलविदों के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) ने 1792 में मद्रास में स्थापित वेधशाला से शुरू हुए इस वेधशाला के समृद्ध इतिहास, इसकी विविध उपलब्धियों और इसके चल रहे अनुसंधान को दर्शाने के लिए आने वाले महीनों में कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है।
कोडाइकनाल सौर वेधशाला वर्तमान में, IIA के अंतर्गत एक फील्ड स्टेशन के रूप में कार्यरत है।
IIA विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है। बता दें कि 1 अप्रैल को भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान अपने स्थापना दिवस के रूप में भी मनाता है।
IIA को 1971 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक संस्थान के रूप में गठित किया गया था।
कोडाइकनाल सौर वेधशाला डेढ़ सदी से भी अधिक समय से वैज्ञानिकों द्वारा भारतीय धरती से सूर्य को समझने, ग्रहणों का अध्ययन करने, वर्ष 1868 में हीलियम की खोज करने, सूर्य में प्लाज्मा प्रक्रिया को समझने और इसके विस्तार, प्रमुखता और चमक-दमक को समझने का प्रमाण है।