उत्तरी अमेरिका की पांच महान झीलों (Great Lakes) में अम्लीयता का अध्ययन

उत्तरी अमेरिका की पांच महान झीलों (five Great Lakes) में से एक, ह्यूरॉन झील (Lake Huron) के जल की केमिस्ट्री ट्रेंड का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक एक सेंसर नेटवर्क का निर्माण कर रहे हैं। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि ह्यूरॉन झील परियोजना के डेटा इस विषय पर वैज्ञानिक जानकारी में इजाफा करेंगे।

प्रमुख तथ्य

यह एक ऐसी प्रणाली विकसित करने की दिशा में पहला कदम है जो कई वर्षों में ग्रेट लेक्स के कार्बन डाइऑक्साइड और पीएच स्तर को मापने में सक्षम होगी।

महासागर अधिक अम्लीय होते जा रहे हैं क्योंकि वे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर रहे हैं जो मानव गतिविधि वातावरण में छोड़ती है और यह जलवायु परिवर्तन का प्राथमिक कारण है।

अम्लीकरण (Acidification) प्रवाल भित्तियों और अन्य समुद्री जीवन को खतरे में डालता है।

कंप्यूटर मॉडल पर आधारित अध्ययनों से पता चलता है कि फ्रेशवाटर प्रणालियों में भी ऐसा ही हो सकता है।

हाल ही में, यह देखा गया है कि वर्ष 2100 तक, ग्रेट लेक्स भी महासागरों के समान दर पर अम्लता के स्तर को प्राप्त कर सकती हैं।

द ग्रेट लेक्स

द ग्रेट लेक्स, यूएस-कनाडा सीमा पर पांच परस्पर जुड़े जल के निकाय (bodies of water) हैं जो सेंट लॉरेंस नदी के माध्यम से उत्तरी अटलांटिक में सेंट लॉरेंस की खाड़ी में प्रवाहित हैं और ये दुनिया में फ्रेशवाटर की झीलों का सबसे बड़ा समूह हैं।

ग्रेट लेक्स यानी महान झीलों में शामिल हैं; सुपीरियर, मिशिगन, ह्यूरॉन, एरी और ओंटारियो।

यूएस-कनाडा सीमा सुपीरियर, ह्यूरॉन, एरी और ओंटारियो से होकर गुजरती है; वहीं मिशिगन झील पूरी तरह से अमेरिका में स्थित है।

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महासागर अम्लीकरण और प्रभाव

PH किसी तरल घोल की अम्लता या क्षारीयता का माप है। किसी घोल का pH 0 से 14 के पैमाने पर हाइड्रोजन आयनों (H+) और हाइड्रॉक्सिल आयनों (OH-) की सांद्रता का प्रतिनिधित्व करता है।

शुद्ध पानी का pH 7 होता है और यह उदासीन होता है यानी – न तो अम्लीय और न ही क्षारीय। 7 से कम pH वाला घोल अम्लीय होता है, जबकि 7 से अधिक pH वाला घोल क्षारीय होता है। pH स्केल लघुगणकीय (logarithmic) है, इसलिए एक pH इकाई की कमी अम्लता में दस गुना वृद्धि का संकेत है।

18वीं से 19वीं सदी की औद्योगिक क्रांति से पहले समुद्र का औसत PH मान लगभग 8.2 था। आज समुद्र का औसत PH 8.1 है। इसका अर्थ है कि आज महासागर पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत अधिक अम्लीय है।

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की छठी आकलन रिपोर्ट के अनुसार, 2100 तक समुद्र का PH घटकर लगभग 7.8 हो सकता है, जिससे महासागर 150 प्रतिशत अधिक अम्लीय हो जाएगा और सभी समुद्री जीवन का आधा हिस्सा प्रभावित होगा।

महासागरीय अम्लीकरण पहले से ही कई समुद्री प्रजातियों को प्रभावित कर रहा है, विशेष रूप से ऑयस्टर और कोरल जैसे जीव जो समुद्री जल से कैल्शियम और कार्बोनेट के संयोजन से कठोर खोल और कंकाल (shells and skeletons) बनाते हैं।

हालाँकि, जैसे-जैसे समुद्र का अम्लीकरण बढ़ता है, उपलब्ध कार्बोनेट आयन (CO32-) अतिरिक्त हाइड्रोजन के साथ बंध जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जीवों को उनके खोल, कंकाल और अन्य कैल्शियम कार्बोनेट संरचनाओं को बनाने और बनाए रखने के लिए कम कार्बोनेट आयन उपलब्ध होते हैं। यदि PH बहुत कम हो जाता है, तो खोल और कंकाल भी घुलना शुरू कर सकते हैं।

समुद्री रसायन विज्ञान में परिवर्तन गैर-कैल्सीफाइंग जीवों (non-calcifying organisms) के व्यवहार को भी प्रभावित कर सकता है। अधिक अम्लीय जल में शिकारियों का पता लगाने के लिए क्लाउनफ़िश जैसी कुछ मछलियों की क्षमता कम हो जाती है।

जहां कुछ प्रजातियों को समुद्र के अम्लीकरण से नुकसान होगा, वहीं शैवाल और समुद्री घास ( algae and seagrasses) समुद्र में उच्च CO2 स्थितियों से लाभान्वित हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें भूमि पर पौधों की तरह ही प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 की आवश्यकता होती है।

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