चाइना-प्लस-वन रणनीति

चाइना-प्लस-वन (China-Plus-One) रणनीति वैश्विक व्यापार रणनीति है और लगभग एक दशक पुरानी रणनीति है। हालांकि कोविड-19 महामारी के बाद सप्लाई-चेन में आये व्यवधान और वस्तुओं की आपूर्ति के लिए चीन पर अधिक निर्भरता के दुष्परिणाम सामने दिखे हैं। इसलिए यह स्ट्रेटेजी आज अधिक प्रासंगिक हो गयी है।

चाइना-प्लस-वन रणनीति: जरूरत क्यों पड़ी?

चाइना-प्लस-वन, या जस्ट प्लस वन एक ऐसी रणनीति को संदर्भित करता है जिसमें कंपनियां केवल चीन में निवेश करने से बचती हैं और अपने व्यवसायों को चीन के बाहर भी स्थापित कर इसमें विविधता लाने का प्रयास करती हैं ताकि चीन में कुछ गड़बड़ी होने पर किसी अन्य स्थान से अपने व्यवसाय व उत्पादन संचालन को जारी रख सके।

पिछले 30 वर्षों से, पश्चिमी कंपनियों ने चीन में भारी निवेश किया है, और इसकी वजह रही है: निम्न श्रम लागत, निम्न उत्पादन लागत। घरेलू उपभोक्ता बाजार का बड़ा आकार।

जुलाई 2022 के अंत में, भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित 18 अर्थव्यवस्थाओं के एक समूह ने सामूहिक आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के लिए 4 पॉइंट रोडमैप का अनावरण किया था जो लंबी अवधि में रेसिलिएंस होगा। रोडमैप (four-point roadmap for building collective, long-term resilient supply chains) में आपूर्ति श्रृंखला निर्भरता और इस पर खतरों का मुकाबला करने के लिए कदम भी शामिल थे। इसे समग्र चीन-प्लस-वन रणनीति (China-plus-one strategy) के एक भाग के रूप में देखा जा सकता है।

इससे पहले भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्रियों ने औपचारिक रूप से 27 अप्रैल 2021 को आयोजित एक त्रिपक्षीय मंत्रिस्तरीय बैठक में आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (Supply Chain Resilience initiative) की औपचारिक शुरुआत की थी।

जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका में अधिकारियों और कंपनियों ने 2008 की शुरुआत में ही चीन से अलग एक विविधीकरण रणनीति पर विचार करना शुरू कर दिया था। हालांकि, अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के चरम स्थिति में पहुंचने के बाद बहुराष्ट्रीय कंपनियों को वैकल्पिक स्थल के लिए सोचने के लिए मजबूर किया है।

हाल के वर्षों में चीन और पश्चिम देशों के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक अविश्वास भी इसका बड़ा कारण है।

कई देशों में सख्त डेटा गोपनीयता कानून लाये गए हैं जो कंपनियों को अपने देश के उपभोक्ताओं की डेटा को देश में ही स्टोर करने के लिए मजबूर करता है। चीन का व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून भी अन्य आवश्यकताओं के अलावा, कंपनियों को अब व्यक्तिगत उपयोगकर्ता जानकारी विदेश भेजने से पहले अनुमति लेने के लिए मजबूर करती है।

चीन की जीरो-कोविड नीति से भी कंपनियों को उत्पादन रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा है जिससे आपूर्ति प्रभावित हुई है। इस तरह चीन-प्लस-वन रणनीति कई कारकों का परिणाम है।

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