क्या है ‘जीरो कोविड पॉलिसी’?
सरकार के खिलाफ भारी विरोध के बाद चीन ने अपनी सख्त ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ (zero-Covid policy) में ढील दी है। बीजिंग में 2 नवंबर को कोविड-19 परीक्षण बूथ हटा दिए गए थे, जबकि शेन्ज़ेन ने अन्य शहरों का अनुसरण करते हुए घोषणा की कि अब यात्रियों को यात्रा के लिए अपनी टेस्टिंग रिजल्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस तरह चीन के कई अन्य शहर भी सख्त कोविड नीति में ढील देना शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि 2012 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद पहली बार उन्हें इतना विरोध का सामना करना पड़ा है। इस विरोध की शुरुआत सुदूर-पश्चिमी शहर उरुमकी में तब हुई जब एक अपार्टमेंट में आग लगने से 10 लोगों की मृत्यु हो गयी थी। इसके बाद कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ दर्जनों विरोध प्रदर्शन हुए।
जीरो कोविड रणनीति (zero-Covid policy)
बता दें कि चीन ने कोविड के संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया में सबसे कठिन तरीका अपनाया है जिसे जीरो कोविड रणनीति (zero-Covid policy) कहा जाता है। इस रणनीति में निम्नलिखित शामिल हैं:
- स्थानीय अधिकारियों को सख्ती से लॉकडाउन लागू करना होता है – भले ही कोविड के मामले गिने-चुने ही हों,
- उन जगहों पर बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जाता है जहां मामले दर्ज किए गए हैं,
- कोविड से संक्रमित लोगों को घर पर अलग-थलग कर दिया जाता है, या सरकारी सुविधाओं में क्वारंटाइन के तहत रखा जाता है,
- लॉकडाउन क्षेत्रों में व्यवसाय और स्कूल बंद कर दिए जाते हैं,
- दुकानें भी बंद कर दी जाती हैं – केवल फ़ूड बेचने वालों को छोड़कर,
- लॉकडाउन तब तक रहता है जब तक कि नया संक्रमण बंद हो जाये,
- करोड़ों लोग किसी न किसी तरह के लॉकडाउन में रह रहे हैं।
- कुछ स्थानीय अधिकारियों ने अधिक कड़े उपाय किए हैं, जैसे श्रमिकों को कारखानों के अंदर सोने के लिए मजबूर करना ताकि वे क्वारंटाइन के दौरान भी काम कर सकें।