किन नियमों के तहत सदन से सदस्यों को निलंबित किया जा सकता है?
हाल में सदन में हंगामे और प्लेकार्ड दिखाए जाने के बाद राज्य सभा और लोक सभा के कुछ सदस्यों को कुछ अवधि के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था। सामान्य सिद्धांत यह है कि लोकसभा के अध्यक्ष और राज्य सभा के सभापति (पीठासीन अधिकारी) की भूमिका और कर्तव्य है कि वह व्यवस्था बनाए रखें ताकि सदन सुचारू रूप से चल सके।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि कार्यवाही उचित तरीके से संचालित हो, अध्यक्ष/सभापति को किसी सदस्य को सदन से निलंबित करने का अधिकार है।
- लोकसभा प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम (Rules of Procedure and Conduct of Business) संख्या 373 में कहा गया है: यदि अध्यक्ष की यह राय हो कि किसी सदस्य का व्यवहार अव्यवस्थापूर्ण है तो अध्यक्ष द्वारा उस सदस्य को, तत्काल सभा से बाहर चले जाने का निदेश दिया जा सकेगा और जिस सदस्य को इस तरह बाहर चले जाने का आदेश दिया जा सकेगा वह तुरंत सभा से बाहर चला जाएगा/चली जाएगी और उस दिन की अवशिष्ट बैठक के समय तक अनुपस्थित रहेगा/रहेगी।
- अधिक अड़ियल सदस्यों से निपटने के लिए, अध्यक्ष नियम 374 और 374A का सहारा लेते हैं।
- नियम 374A को 5 दिसंबर 2001 को नियम पुस्तिका में शामिल किया गया था। नियम 373 और 374 में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी किसी सदस्य द्वारा अध्यक्ष के आसन के निकट आकर अथवा सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से सभा की कार्यवाही में बाधा डालकर लगातार और जानबूझकर सभा के नियमों का दुरुपयोग करते हुए घोर अव्यवस्था उत्पन्न किए जाने की स्थिति में अध्यक्ष द्वारा सदस्य का नाम लिए जाने पर वह सभा की सेवा से लगातार पांच बैठकों के लिए या सत्र की शेष अवधि के लिए, जो भी कम हो, स्वतः निलंबित हो जाएगा/जाएगीः परन्तु सभा किसी भी समय, प्रस्ताव किए जाने पर, संकल्प कर सकेगी कि ऐसा निलंबन समाप्त किया जाए। अध्यक्ष द्वारा इस नियम के अंतर्गत निलंबन किए जाने की घोषणा के बाद निलंबित सदस्य सभा के परिसर से तुरंत बाहर चला जाएगा।
- लोकसभा अध्यक्ष की तरह, राज्यसभा के सभापति को अपनी नियम पुस्तिका के नियम संख्या 255 के तहत “किसी भी सदस्य को, जिसका आचरण उसकी राय में घोर उच्छृंखल है, सदन से तुरंत हटने के लिए निर्देशित” करने का अधिकार है।
- नियम 256 के तहत, सभापति “एक सदस्य का नाम दे सकता है जो सभापति के अधिकार की अवहेलना करता है या लगातार और जानबूझकर बाधा डालकर राज्य सभा के नियमों का उल्लंघन करता है”। ऐसी स्थिति में, सदन सदस्य को सदन की सेवा से निलंबित करने का प्रस्ताव पारित कर सकता है, जिसकी अवधि शेष सत्र से अधिक नहीं होगा।