भारत ने मालदीव के साथ करेंसी स्वैप समझौता पर हस्ताक्षर किये
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 7 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में SAARC मुद्रा स्वैप फ्रेमवर्क 2024-27 के तहत मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (MMA) के साथ करेंसी स्वैप समझौता किया।
समझौते के तहत, मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण यूएस डॉलर/यूरो स्वैप विंडो के तहत आरबीआई से 400 मिलियन डॉलर और INR स्वैप विंडो के तहत 30 बिलियन रुपये की वित्तीय सहायता के लिए पात्र है।
यह समझौता 18 जून, 2027 तक वैध होगा।
सार्क करेंसी स्वैप फ्रेमवर्क 15 नवंबर, 2012 को लागू हुआ, ताकि दीर्घकालिक व्यवस्था होने तक अल्पकालिक विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं या अल्पकालिक भुगतान संतुलन संकट दूर करने के लिए फंडिंग की बैकस्टॉप लाइन प्रदान की जा सके।
करेंसी स्वैप समझौता
करेंसी स्वैप दो सीमा पार संस्थाओं के बीच एक समझौता है जहां उनमें से एक विदेशी मुद्रा में दूसरे को ऋण देने के लिए सहमत होता है। पुनर्भुगतान एक निश्चित तिथि और विनिमय दर पर एक अलग मुद्रा में होता है।
ऐसे ऋणों पर ली जाने वाली ब्याज दर आमतौर पर विदेशी बाजार में उपलब्ध ब्याज दर से कम होती है।
करेंसी स्वैप का एक उदाहरण: मान लीजिए भारत, मालदीव के साथ 5 मिलियन डॉलर का करेंसी स्वैप समझौता करता है, बदले में, मालदीव को एक निश्चित ब्याज दर पर भारतीय रुपए में पैसा वापस करना होगा। यह विदेशी मुद्रा भंडार संकट से गुजर रहे देशों के लिए एक तारणहार के रूप में आता है क्योंकि यह उन्हें कम ब्याज दर पर विदेशी मुद्रा में यानी अमेरिकी डॉलर में ऋण प्राप्त करने की सुविधा देता है।
ये स्वैप देशों को विदेशी बाजारों की तुलना में कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराते हैं। साथ ही, यह प्राप्तकर्ता देश को अपने विदेशी भंडार को बनाए रखने में मदद करता है, भले ही अन्य विदेशी ऋण दायित्व बड़े हों।
मुद्राओं की विनिमय दरें हर दिन बदलती रहती हैं। इससे पुनर्भुगतान के समय असुविधा हो सकती है। इसके लिए, विनिमय दर आमतौर पर समझौते पर हस्ताक्षर करने के दौरान पहले से तय की जाती है। इसलिए, पुनर्भुगतान राशि काफी हद तक समान रहती है।