WHO ने R21/Matrix-M मलेरिया वैक्सीन को प्री-क्वालिफिकेशन टीकों की सूची में शामिल किया
बायो टेक्नोलॉजी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित मलेरिया वैक्सीन ने 21 दिसंबर, 2023 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा रेगुलेटरी मंजूरी के अगले दौर को पार कर लिया है।
R21/मैट्रिक्स-M (R21/Matrix-M) मलेरिया वैक्सीन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित की गई है। यह वैक्सीन की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता के मामले में WHO के मानकों पर खरी उतरती है।
यदि किसी टीके का जरुरी डेटा का गहन मूल्यांकन, नमूनों का परीक्षण और वैक्सीन उत्पादन स्थलों का WHO निरीक्षण किया गया है – और रिजल्ट पॉजिटिव है – तो इसे WHO की प्री-क्वालिफिकेशन की सूची में शामिल की जाती है।
WHO टारगेट आबादी के लिए टीके की जरुरत का भी परीक्षण करता है। बता दें कि प्रीक्वालिफिकेशन का मतलब यह हुआ कि बच्चों में मलेरिया को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण रोकथाम के रूप में टीकों की अधिक आबादी तक पहुंचना।
WHO की प्री-क्वालिफिकेशन की सूची में शामिल होने के बाद ही यूनिसेफ द्वारा वैक्सीन खरीद की जाती है और वैक्सीन एलायंस गावी (GAVI) द्वारा विश्व में वितरण की जाती है।
R21 वैक्सीन ऐसी दूसरी वैक्सीन है जिसे WHO की मंजूरी मिली है। ऐसी पहली वैक्सीन RTS,S/AS01 थी।
क्लीनिकल ट्रायल में, दोनों टीकों को बच्चों में मलेरिया को रोकने में सुरक्षित और प्रभावी दिखाया गया है। WHO के अनुसार, 2022 में, वैश्विक स्तर पर अनुमानित 249 मिलियन मलेरिया के मामले देखे गए, जिसमें 85 देशों में 608,000 मलेरिया से मौतें हुईं।
मलेरिया के बारे में
मलेरिया (malaria) कुछ प्रकार के मच्छरों द्वारा मनुष्यों में फैलने वाली एक जानलेवा बीमारी है। यह अधिकतर उष्णकटिबंधीय देशों में पाया जाता है।
यह रोकथाम योग्य और इलाज योग्य बीमारी है। मलेरिया ज्यादातर संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में फैलता है।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन और संक्रमित सुइयों से भी मलेरिया फैल सकता है।
पांच प्लाज्मोडियम परजीवी प्रजातियां हैं जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं और इनमें से 2 प्रजातियां – पी. फाल्सीपेरम (P. falciparum) और पी. विवैक्स (P. vivax) – सबसे बड़ा खतरा पैदा करती हैं।
पी. फाल्सीपेरम सबसे घातक मलेरिया परजीवी है और इसके सर्वाधिक मामले अफ्रीकी महाद्वीप में पाए जाते हैं।
पी. विवैक्स उप-सहारा अफ्रीका के बाहर अधिकांश देशों में प्रमुख मलेरिया परजीवी है।