JT-60SA: दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे एडवांस टोकामक-टाइप फ्यूजन रिएक्टर
यूरोपीय संघ और जापान ने 1 दिसंबर को जापान के इबाराकी प्रीफेक्चर में स्थित दुनिया के सबसे बड़े और सबसे एडवांस टोकामक-टाइपफ्यूजन रिएक्टर- JT-60SA के संचालन की शुरुआत की।
मुख्य तथ्य
JT-60SA रिएक्टर एक छह मंजिला ऊंची मशीन है, जिसे टोक्यो के उत्तर में नाका में एक हैंगर में रखा गया है। इसमें एक डोनट के आकार का “टोकामक” वेसल शामिल है जिसमें 200 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक गर्म किये जाने वाला प्लाज्मा शामिल है।
JT-60SA फ्रांस में निर्माणाधीन इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) का अग्रदूत है।
JT-60SA और ITER दोनों को हाइड्रोजन नाभिक को एक भारी तत्व, हीलियम में संलयन करने के लिए अंदर समेटना है, जिससे प्रकाश और ऊष्मा के रूप में ऊर्जा निकलेगी।
गौरतलब है कि सबसे पहले 1950 के दशक में सोवियत वैज्ञानिकों द्वारा टोकामक्स टोरॉयडल रिएक्टर कल्पना की गई। यह पहले व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य संलयन बिजली संयंत्र (commercially viable fusion power plants) बनने के प्रमुख दावेदारों में से एक हैं।
टोकामक (Tokamak) नाम मैग्नेटिक कॉइल्स के साथ टॉरॉयडल चैंबर का रूसी संक्षिप्त रूप है। जापान टोरस-60 (JT-60) परियोजना 1970 से चल रही है और JT-60SA इस दिशा में नवीनतम प्रयास है।
ITER और भारत
ITER ऊर्जा के भविष्य के स्रोत के रूप में परमाणु संलयन की व्यवहार्यता साबित करने के लिए फ्रांस के दक्षिण में कैडराचे में निर्माणाधीन एक प्रायोगिक संलयन रिएक्टर केंद्र (fusion reactor facility) है।
ITER “टोकामक” कांसेप्ट पर काम करेगा जहां हाइड्रोजन आइसोटोप ड्यूटेरियम और ट्रिटियम की रिएक्शंस द्रव्यमान-ऊर्जा रूपांतरण सिद्धांत द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करती है, जिससे असीमित ऊर्जा का स्रोत साबित होता है।
ITER के भागीदार यूरोपीय संघ, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।
भारत औपचारिक रूप से 2005 में ITER परियोजना में शामिल हुआ।