महिला एवं बाल विकास मंत्री ने ‘बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल’ लॉन्च किया

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने 10 अक्टूबर को ‘बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल’ (Protocol for Management of Malnutrition in Children) लॉन्च किया।

बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन का यह प्रोटोकॉल भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है।

प्रोटोकॉल के प्रमुख बिंदु

इस प्रोटोकॉल में आंगनवाड़ी और चिकित्सा इको-सिस्टम के जरिए कुपोषित बच्चों का आकलन करने और उन्हें देखभाल मुहैया कराने की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

प्रोटोकॉल का उद्देश्य देश में कुपोषित बच्चों की पहचान करना और उन्हें व्यापक देखभाल प्रदान करना है जिसमें एपेटाइट टेस्टिंग (क्षुधा परीक्षण) और “बडी मदर” अवधारणा जैसी नई पहल शामिल हैं।

यह आंगनवाड़ी स्तर पर कुपोषित बच्चों की पहचान और प्रबंधन के लिए विस्तृत 10-चरणीय दिशानिर्देश प्रदान करता है, जिसमें रेफरल, पोषण प्रबंधन और बाद की देखभाल के लिए निर्णय लेना शामिल है।

इसमें विकास की निगरानी, ​​एपेटाइट टेस्टिंग, कुपोषित बच्चों का पोषण प्रबंधन और उन बच्चों की फॉलो अप देखभाल शामिल है जो आवश्यक कदम उठाने के बाद अपेक्षित विकास मानकों को प्राप्त करने में कामयाब होते हैं।

इसमें “बडी मदर” अवधारणा (buddy mother) जैसी अनूठी पहल भी शामिल है जिसका उपयोग पहली बार असम राज्य में किया गया था। इस कांसेप्ट के तहत, एक स्वस्थ बच्चे की मां हर हफ्ते एक कुपोषित बच्चे की मां को आंगनवाड़ी केंद्र में मार्गदर्शन करती है।

कुपोषित बच्चों की पहचान और उनका उपचार मिशन पोषण 2.0 का एक अभिन्न पहलू है और ‘पोषण माह’ (पोषण माह) के दौरान 17 करोड़ से अधिक गतिविधियाँ हुई हैं।

यह प्रोटोकॉल महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि हाल तक, गंभीर तीव्र कुपोषण (Severe Acute Malnutrition: SAM) वाले बच्चों के उपचार को फैसिलिटी-बेस्ड अप्रोच तक ही सीमित माना जाता था। पहली बार इस प्रोटोकॉल में SAM वाले बच्चों के उपचार से संबंधित विषयों को आंगनवाड़ी स्तर पर हल किया जाएगा, जिसमें रेफरल, पोषण प्रबंधन और बाद की देखभाल के लिए निर्णय लेना भी शामिल है। लम्बाई या ऊंचाई की तुलना में बहुत कम वजन को SAM के रूप में परिभाषित किया गया है।

इस मानकीकृत प्रोटोकॉल की शुरुआत से देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में सामुदायिक स्तर पर कुपोषण की समस्यां को समझने और उसका प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। खासतौर से उन इलाकों में जहां कोई चिकित्सीय समस्याएं नहीं है।

कुपोषण का स्तर

पोषण ट्रैकर ऐप पर मिले नतीजे बताते है कि NFHS-5 के नतीजों की तुलना में कुपोषण का स्तर काफी कम है।

7 करोड़ से ज्यादा बच्चों के आंकड़े दर्शाते है कि 0-5 साल की उम्र के 1.98 प्रतिशत बच्चे SAM (कुपोषण के कारण उम्र के हिसाब से बहुत कम वजन और लंबाई वाले और अधिक खतरे में) और 4.2 प्रतिशत बच्चे MAM (अपेक्षाकृत कम कुपोषित और कम खतरे में) है जबकि एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार 19.3 प्रतिशत बच्चे कम कुपोषित हैं।

error: Content is protected !!