भारत और रूस के बीच ‘नार्थ सी रूट’ तथा ‘पूर्वी समुद्री गलियारे (EMC)’ के विकास पर चर्चा
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल और रूस में सुदूर पूर्व और आर्कटिक के विकास मंत्री ने समुद्री सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत और रूस के बीच समुद्री आवागमन के कई उपायों पर चर्चा की।
इनमें नार्थ सी रूट (Northern Sea Route) के साथ-साथ व्लादिवोस्तोक तथा चेन्नई के बीच पूर्वी समुद्री गलियारे (eastern maritime corridor: EMC) जैसे नए समुद्री परिवहन गलियारों के उपयोग की संभावना भी शामिल की गई।
चेन्नई और व्लादिवोस्तोक के बीच यह प्रस्तावित समुद्री मार्ग उत्तर कोरिया के उत्तर में गोल्डन हॉर्न खाड़ी पर और चीन के साथ रूस की सीमा से थोड़ी दूरी पर स्थित है।
व्लादिवोस्तोक रूस के प्रशांत तट पर सबसे बड़ा बंदरगाह है। चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग लगभग 5,600 समुद्री मील की दूरी तय करेगा।
यह गलियारा भारत को व्यापार मार्ग के माध्यम से दक्षिण चीन सागर में प्रवेश देगा। इस मार्ग का मुख्य उद्देश्य कोकिंग कोयला, तेल तथा तरलीकृत प्राकृतिक गैस का त्वरित परिवहन है।
अनुमान है कि पूर्वी समुद्री गलियारे से सुदूर पूर्व के भारतीय और रूसी बंदरगाहों के बीच माल परिवहन के लिए आवश्यक समय में 16 दिनों तक की कटौती होगी। यह गलियारा रूसी शिपमेंट को 40 दिनों के बजाय 24 दिनों में भारत पहुंचने में सक्षम बनाएगा।
नार्थ सी रूट
नार्थ सी रूट रूस के उत्तरी तट के साथ जाती है और पूर्वी एशिया और यूरोप के बीच सबसे छोटा शिपिंग मार्ग है।
स्वेज नहर मार्ग द्वारा कवर किए गए 21,000 किमी की तुलना में यह 13,000 किमी तक फैला है।
मरमंस्क नार्थ सी रूट का शुरुआती बिंदु है। इस मार्ग सेकार्गो यातायात में भारतीयों की भागीदारी बाद रही है।