“स्वास्थ्य के अधिकार” की गारंटी देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बना
राजस्थान 21 मार्च को विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक (Right to Health Bill) पारित करने वाला पहला राज्य बन गया है। यह विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त बाह्य रोगी विभाग (OPD) सेवाओं और अन्तः रोगी विभाग ((IPD) सेवाओं का लाभ उठाने का अधिकार देता है। .
साथ ही, चुनिंदा निजी स्वास्थ्य केंद्रों में भी समान स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त में प्रदान की जाएंगी।
प्रमुख तथ्य
यह कानून राज्य के निवासियों को कुल 20 अधिकार प्रदान करता है।
सरकार के अनुसार, विधेयक संविधान के अनुच्छेद 47 (पोषण के स्तर और जीवन स्तर को बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए राज्य का कर्तव्य) के तहत स्वास्थ्य और कल्याण में अधिकारों और इक्विटी की सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही यह अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) की विस्तारित परिभाषा के अनुसार स्वास्थ्य के अधिकार को सुरक्षित करेगा।
विधेयक के अनुसार, सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में परामर्श, दवाओं, निदान, आपातकालीन ट्रांसपोर्ट, प्रक्रिया और आपातकालीन देखभाल सहित मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएंगी और नियमों में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन निजी स्वास्थ्य केंद्रों का चयन किया जाएगा।
इसके अलावा, सभी निवासी किसी शुल्क के पूर्व-भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और आकस्मिक आपात स्थिति के लिए देखभाल के हकदार होंगे।
स्वास्थ्य का अधिकार: मौलिक अधिकार
उल्लेखनीय है कि बंधुआ मुक्ति मोर्चा बनाम भारत संघ एआईआर 1984 (Bandhua Mukti Morcha v. Union of India AIR 1984) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि हालांकि नीति निर्देशक सिद्धांत बाध्यकारी दायित्व नहीं हैं, और केवल प्रेरक मूल्य रखते हैं, फिर भी उन्हें राज्य द्वारा विधिवत लागू किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि व्यक्ति की गरिमा और स्वास्थ्य, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के दायरे में आते हैं।