मिजोरम विधानसभा ने समान नागरिक संहिता (UCC) का विरोध करने वाला प्रस्ताव पारित किया
मिजोरम विधानसभा ने 14 फरवरी को देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code: UCC) को लागू करने के किसी भी कदम का विरोध करने वाला एक आधिकारिक प्रस्ताव सर्वसम्मति से अपनाया है।
राज्य के गृह मंत्री लालचमलिआना ने प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया था कि “यह सदन सर्वसम्मति से भारत में UCC को लागू करने के लिए उठाए गए या उठाए जाने वाले किसी भी कदम का विरोध करने का संकल्प लेता है।”
बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 371G, जो 1986 में हस्ताक्षरित ऐतिहासिक मिजोरम शांति समझौते के कारण अस्तित्व में आया, में कहा गया है कि मिज़ो लोगों की धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, मिज़ो प्रथागत कानून और प्रक्रिया, सिविल और आपराधिक न्याय के प्रशासन, मिजो प्रथागत कानून के अनुसार भूमि का स्वामित्व और हस्तांतरण के संबंध में संसद का कोई अधिनियम मिजोरम में तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि राज्य विधानमंडल एक प्रस्ताव द्वारा ऐसा निर्णय नहीं लेता।
संविधान में राज्यों के लिए विशेष प्रावधान
- अनुच्छेद 371: राज्यपाल के पास “विदर्भ, मराठवाड़ा और शेष महाराष्ट्र” और गुजरात में सौराष्ट्र और कच्छ के लिए “अलग विकास बोर्ड” स्थापित करने की “विशेष जिम्मेदारी” है।
- अनुच्छेद 371A (13वां संशोधन अधिनियम, 1962): नागालैंड के लिए विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 371B (22वां संशोधन अधिनियम, 1969): असम आदिवासी क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान ।
- अनुच्छेद 371C (27वां संशोधन अधिनियम, 1971): मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 371D (32वां संशोधन अधिनियम, 1973; आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 द्वारा प्रतिस्थापित): आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों के रोजगार के लिए विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 371F (36वां संशोधन अधिनियम, 1975): सिक्किम के लिए विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 371g (53वां संशोधन अधिनियम, 1986): मिजोरम के लिए विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 371H (55वां संशोधन अधिनियम, 1986): अरुणाचल प्रदेश के लिए विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 371J (98वां संशोधन अधिनियम, 2012), कर्नाटक: हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के लिए एक अलग विकास बोर्ड का प्रावधान है।