कम्युनिटी रिजर्व (Community Reserves) क्या है?
हाल में डाउन टू एअर्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में पिछले 11 वर्षों में सामुदायिक आरक्षित वन क्षेत्र/कम्युनिटी रिजर्व (community reserves) की अधिसूचना में तेजी देखी गई है।
उल्लेखनीय है कि जब एक बार किसी वन भूमि को कम्युनिटी रिजर्व घोषित कर दिया जाता है, तब इसका प्रबंधन स्थानीय ग्राम परिषदों से वन विभाग को हस्तांतरित हो जाता है।
सामुदायिक रिजर्व आमतौर पर स्थानीय ग्राम परिषद और वन विभाग द्वारा एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करके बनाया जाता है।
भारत के अन्य क्षेत्रों के विपरीत, पूर्वोत्तर क्षेत्र में वनों का प्रशासनिक नियंत्रण मुख्य रूप से समुदायों द्वारा किया जाता रहा है, जिनमें से अधिकांश वनों को ‘अवर्गीकृत’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जैसा कि 2006 में प्रकाशित विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया था।
वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम (WLPA), 1972 के अनुसार, समुद्री संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और कंज़र्वेशन रिजर्व के साथ कम्युनिटी रिजर्व संरक्षित क्षेत्रों (protected areas) के अंतर्गत आते हैं।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अनुसार कंज़र्वेशन रिजर्व और कम्युनिटी रिजर्व भारत के ऐसे संरक्षित क्षेत्र हैं जो आमतौर पर स्थापित नेशनल पार्क, वन्यजीव अभयारण्यों और भारत के आरक्षित और संरक्षित वनों के बीच बफर जोन के रूप में कार्य करते हैं।
प्रबंधन, समिति द्वारा पारित एक प्रस्ताव को छोड़कर WLPA की उप-धारा (1) के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद कम्युनिटी रिजर्व के भीतर भूमि उपयोग पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया जाता। और इसकी स्वीकृति राज्य सरकार द्वारा WLPA की धारा 36 C (3) के अनुसार दी जाती है।