‘इन्फॉर्मेशन यूटिलिटीज’ (IUs) कौन होते हैं?

आत्मनिर्भर बनने और सरकारी धन पर निर्भरता को कम करने के लिए इंडियन इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड (IBBI) ने क्रेडिटर्स (कर्जदाता) पर रिकवर की गयी वैल्यू का 0.25% “नियामक शुल्क” (regulatory fee) लगाने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन यह शुल्क वहां लागू होगा जहां रिकवरी की गयी राशि, स्ट्रेस्ड एसेट्स की लिक्विडेशन राशि (फेयर वैल्यू) से अधिक हो।

IBBI ने किसी पेशेवर या अन्य सेवाओं के लिए काम पर रखने के संबंध में समाधान (resolution ) लागत का 1% शुल्क लगाने का भी प्रस्ताव किया है।

साथ ही, IBBI ने इन्सॉल्वेंसी पेशेवरों (IPs), IPs संस्थाओं और इन्फॉर्मेशन यूटिलिटीज (Information utilities: IU) से मिलने वाली फीस बढ़ा दी है।

नई शुल्क संरचनाएं 1 अक्टूबर, 2022 से लागू होंगी।

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 के तहत स्थापित ‘इन्फॉर्मेशन यूटिलिटीज’ (IUs) ऋण और डिफ़ॉल्ट के बारे में प्रमाणित जानकारी प्रदान करती है, जिस पर एक निर्णायक प्राधिकारी इन्सॉल्वेंसी का सामना कर रही कंपनी पर बकाया धन के साक्ष्य के रूप में भरोसा कर सकता है।

इन्फॉर्मेशन यूटिलिटीज कई उद्देश्यों वाली एक संस्था है जैसे कि इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया शुरू करने के लिए निर्विवाद जानकारी प्रदान करने के लिए, IU एक क्रेडिट और कॉन्ट्रैक्ट रिपोजिटरी के रूप में कार्य करता है।

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