विमान की ‘वेट लीजिंग’ (Wet leasing) क्या होती है?

अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत, नागरिक विमानन मंत्रालय ने भारतीय एयरलाइंस को एक वर्ष तक के लिए बड़े आकार के विमान को वेट लीज (wet lease) पर लेने की अनुमति दी है।

इसके लिए नियमों में ढील दी गई है और अब वेट लीज की अवधि छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी गयी है।

वेट लीजिंग (Wet leasing) का मतलब ऑपरेटिंग क्रू और इंजीनियरों के साथ विमान को किराए पर लेना है, जबकि ड्राई लीजिंग का मतलब केवल विमान को किराए पर लेना है।

नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा वेट लीज़ पर एक विमान के संचालन को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है क्योंकि क्रू दल को अक्सर भारतीय अधिकारियों द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है।

साथ ही, वेट लीजिंग आम तौर पर एक अल्पकालिक व्यवस्था है, क्योंकि यह ड्राई लीज़ की तुलना में अधिक महंगी है।

error: Content is protected !!