क्या होती हैं अधिसूचित बीमारियां (Notifiable Diseases)?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को मानव रेबीज को अधिसूचित रोग (Notifiable Disease) घोषित करने के लिए कहा है ताकि राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों (मेडिकल कॉलेजों सहित) के लिए मानव रेबीज के सभी संदिग्ध, संभावित और पुष्टि किए गए मामलों की रिपोर्ट करना अनिवार्य किया जा सके।  

एक अधिसूचित बीमारी (Notifiable Disease)  ऐसी कोई भी बीमारी है जिसे सरकारी अधिकारियों को सूचित करने के लिए कानून द्वारा अनिवार्य किया जाता है।

सूचनाओं का मिलान अधिकारियों को बीमारी की निगरानी करने की अनुमति देता है, और संभावित प्रकोपों की प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम, 1969 को विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक निगरानी और सलाहकार भूमिका में मदद करने के लिए रोग रिपोर्टिंग आवश्यक है।

डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा बीमारी को कानूनी रूप से अधिसूचित करने से अत्यधिक संक्रामक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए उपाय करने की अनुमति मिलती है।

पंजीकृत चिकित्सकों को ऐसी बीमारियों को उचित रूप में तीन दिनों के भीतर सूचित करने की आवश्यकता होती है, या स्थिति की तात्कालिकता के आधार पर 24 घंटे के भीतर फोन के माध्यम से मौखिक रूप से सूचित करने की आवश्यकता होती है।

इसका मतलब है कि हर सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल, प्रयोगशालाओं और क्लीनिकों को बीमारी के मामलों की रिपोर्ट सरकार को देनी होगी।

सरकार ने हैजा, डिप्थीरिया, एन्सेफलाइटिस, कुष्ठ रोग, मेनिन्जाइटिस, पर्टुसिस (काली खांसी), प्लेग, तपेदिक, एड्स, हेपेटाइटिस, खसरा, येलो फीवर, मलेरिया, डेंगू, आदि जैसी कई बीमारियों को अधिसूचित बीमारी घोषित किया है।

किसी भी बीमारी को अधिसूचित यानी नोटिफाई करने और उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।

किसी अधिसूचित बीमारी की रिपोर्ट करने में कोई भी विफलता आपराधिक कार्य माना जाता है और राज्य सरकार डिफाल्टर के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर सकती है।

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