मेलोकैना बेसीफेरा (Melocanna baccifera)
मेलोकैना बेसीफेरा (Melocanna baccifera) उष्णकटिबंधीय बांस प्रजाति है। बता दें कि बांस की इस प्रजाति को ‘बांस की मौत’ (bamboo death), ‘चूहों के बाहुल्य’ और पूर्वोत्तर भारत में अकाल की परिघटना के साथ लंबे समय से जोड़ा जाता रहा है।
इसी वजह से यह प्रजाति शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।
अब एक 13 वर्षीय अध्ययन प्रकाशित हुआ हाउ जिसमें इसके फूलपर दिलचस्प प्रकाश डाला है। अन्य बातों के अलावा, शोधकर्ताओं ने मेलोकैना बेसीफेरा के फल में शक्कर की उपस्थिति और ‘मौतम’ (Mautam) के दौरान चूहों में उन्मादी भोजन और जनसंख्या में उछाल के बीच एक संबंध का पता लगाया।
Mautam इस बांस के फूल के 48 वर्षों में एक बार खिलने की चक्रीय घटना को कहा जाता है।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस बाँस के फलों और फूलों के प्रति बड़े पैमाने पर पशु /शिकारी आकर्षित होते हैं। उन्होंने बांस के झुरमुट (456.67 किग्रा) में अब तक के सबसे अधिक फल उत्पादन की सूचना दी।
पूर्वोत्तर भारत में ‘मूली’ (‘Muli) नाम से जाने जाना वाला मेलोकैना बेसीफेरा सबसे बड़ा फल देने वाली बांस प्रजाति है। यह पूर्वोत्तर भारत-म्यांमार क्षेत्र की नेटिव स्पीशीज है।
अपने सामूहिक पुष्पन के दौरान, बांस बड़े फल देता है जो पशुओं/शिकारियों को आकर्षित करता है। इनमें से काले चूहे बेर जैसे दिखने वाले मांसल फल को बहुत पसंद करते हैं। इस अवधि के दौरान इन चूहों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है जिसे ‘चूहों की बाढ़’ (‘rat flood) कहा जाता है।
एक बार जब फल खत्म हो जाते हैं, तो ये चूहें खड़ी फसलों को खाना शुरू कर देते हैं, जिससे अकाल पड़ता है। इस अकाल ने अब तक हजारों मानव जीवन को समाप्त कर दिया है।