व्हाइट रैबिट तकनीक
व्हाइट रैबिट (White Rabbit) लार्ज हैड्रोन कोलाइडर त्वरक श्रृंखला के लिए उप-नैनोसेकंड सटीकता और सिंक्रनाइज़ेशन की पिकोसेकंड सटीकता प्रदान करने के लिए सर्न (CERN) में विकसित एक तकनीक है।
इसका पहली बार उपयोग 2012 में किया गया था और तब से यह कणीय भौतिकी यानी पार्टिकल फिजिक्स के क्षेत्र के बाहर अपने विविध औद्योगिक उपयोगों का प्रदर्शन कर रहा है।
व्हाइट रैबिट प्रोजेक्ट नई तकनीक विकसित करने के लिए एक बहुप्रयोगशाला, मल्टीकंपनी और बहुराष्ट्रीय सहयोग है जो नियंत्रण और डेटा प्राप्ति प्रणालियों के लिए एक बहुमुखी समाधान प्रदान करता है। यह परियोजना वर्तमान CERN नियंत्रण और समय प्रणाली के नवीनीकरण के प्रयास के तहत शुरू की गई थी।