रिवर्स फ्लिपिंग (Reverse Flipping)
हाल ही में, ‘रिवर्स फ्लिपिंग’ (Reverse flipping) टर्म का उपयोग व्यावसायिक हलकों में किया गया। मूल रूप से, यह एक टर्म है जिसका उपयोग विदेशी स्टार्ट-अप द्वारा भारत में अपना डोमिसाइल शिफ्ट करने और भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड होने के ट्रेंड का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
यह ट्रेंड हाल के वर्षों में जोर पकड़ रहा है, क्योंकि स्टार्ट-अप भारत की बड़ी और बढ़ती अर्थव्यवस्था, वेंचर कैपिटल के डीप रिसोर्सेज तक पहुंच, फेवरेबल टैक्स सिस्टम, बेहतर बौद्धिक संपदा संरक्षण (intellectual property protection), अधिक युवा और शिक्षित आबादी और फेवरेबल गवर्नमेंट नीतियां का लाभ उठाना चाहते हैं।
प्रेरक फैक्टर: सकल घरेलू उत्पाद के हिसाब से भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 2030 तक इसके तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है, जिसमें 66 प्रतिशत आबादी कम उम्र (35 वर्ष की आयु) की है।