क्या है ‘फोरम शॉपिंग’ (Forum shopping)?
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने 19 मई को कहा कि वह ‘फोरम शॉपिंग’ की अनुमति नहीं देंगे। CJI चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी उनके सामने पेश हुए एक वादी से की, जिसने उस मामले पर सुनवाई की मांग की, जिसे वादी ने एक दिन पहले न्यायमूर्ति केएम जोसेफ के समक्ष मेंशन किया था।
जब वादी या वकील जानबूझकर अपने मामले को किसी विशेष न्यायाधीश या न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रयास करते हैं जहां उन्हें लगता है कि निर्णय अधिक अनुकूल हो सकता है, तो उन्हें “फोरम शॉपिंग” (Forum shopping) कहा जाता है।
इसके तहत वकील अपनी मुकदमेबाजी रणनीति के तहत यह निश्चय करते हैं कि किस बेंच/किस कोर्ट के समक्ष अपना केस मेंशन कर सकते हैं ताकि उनके अनुकूल निर्णय आ सके।
उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति संबंधित उच्च न्यायालय के बजाय एक जनहित याचिका मामले के माध्यम से सीधे सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है क्योंकि इस मुद्दे को और अधिक ध्यान आकर्षित किया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 1988 में ‘चेतक कंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम ओम प्रकाश’ मामले में अपने फैसले में कहा था, एक वादी को अपनी पसंद का फोरम चुनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।