अविश्वास प्रस्ताव (No-confidence motion)
एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को अपने नौ वर्षों में दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव (no-confidence motion) का सामना करना पड़ा।
लोकसभा ने 8 अगस्त 2023 को मणिपुर मुद्दे पर अविश्वास बहस शुरू की और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के बाद मतदान में विश्वास प्रस्ताव गिर गया।
अविश्वास प्रस्ताव के बारे में
- अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रक्रिया है जो यह दर्शाती है कि वर्तमान सरकार अब ज़िम्मेदारी के पदों पर रहने के लिए उपयुक्त नहीं समझी जाती है।
- संसदीय लोकतंत्र में, कोई सरकार तभी सत्ता में रह सकती है जब उसके पास जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित सदन (लोकसभा) में बहुमत हो। हमारे संविधान का अनुच्छेद 75(3) इस नियम को निर्दिष्ट करके प्रावधान करता है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जिम्मेदार है।
- कोई भी लोकसभा सांसद, जो 50 सदस्यों का समर्थन हासिल कर लेता है, किसी भी समय मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है।
- अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है। अंत में, एक मतदान होता है – यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार गिर जाती है।
- वर्ष 1963 में तीसरी लोकसभा के दौरान प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ आचार्य जेबी कृपलानी द्वारा आजाद भारत के संसदीय इतिहास में पहला अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।