मायलारा पंथ (Mylara cult)

कर्नाटक के उडुपी जिले के कुंडापुरा के पास बसरूर में हाल ही में दो मूर्तियों की खोज से यह साबित हो गया है कि प्राचीन मायलारा पंथ (Mylara cult) तटीय क्षेत्र में मौजूद था। इनमें से एक 15वीं शताब्दी ई.पू. की और दूसरी 17वीं शताब्दी ई.पू. की लगती है।

बसरूर (Basrur) के एक कुएं में एक विकृत लेकिन अनोखी मूर्ति मिली थी। इसमें एक शाही नायक को घोड़े पर बैठे हुए दिखाया गया है, जिसके दाएं और बाएं हाथों में क्रमशः तलवार और पात्र है।

बैठे हुए मुद्रा में दिखाया गया घोड़ा भी इस मूर्ति की एक विशिष्टता है जो 15वीं शताब्दी ईस्वी से संबंधित है।

एक अन्य जल निकाय में एक और छोटी स्टोन टेबलेट मिली है जिसमें मायलारा और मायलादेवी एक अलंकृत घोड़े पर बैठे हैं और दोनों अपने दाहिने हाथों में तलवारें पकड़े हुए हैं।  

बसरूर मध्यकाल का एक ऐतिहासिक व्यापारिक शहर था। उहायदेसी, नानादेसी और अन्य व्यापारिक संघों ने सक्रिय रूप से व्यापार में भाग लिया।

इसलिए, बसरूर विभिन्न पंथों का एक महान केंद्र था। मायलारा लिंगेश्वर मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो मायलारा में भगवान शिव के एक रूप, भगवान मायलारा को समर्पित है।

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