जीरो डे वल्नरबिलिटीज (Zero-day vulnerabilities)

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एक नया स्वदेशी सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी सोल्यूशन्स  अब 5G नेटवर्क में जीरो डे वल्नरबिलिटीज (zero-day vulnerabilities) के हमलों का सक्रिय रूप से पता लगा सकता है और उन्हें रोक सकता है, जिससे नेटवर्क डाउनटाइम कम हो सकता है।

बता दें कि निकट भविष्य में 5जी नेटवर्क भारत की राष्ट्रव्यापी संचार प्रणाली की जीवन रेखा बनने वाली है, ऐसे में उनकी सुरक्षा बहुत जरूरी है।

वर्तमान में अधिकांश रनटाइम, जीरो डे वल्नरबिलिटीज की पहचान हमले के बाद की जाती है, जिससे ब्रांड को नुकसान होता है और साथ ही सिस्टम की रिकवरी की लागत भी बढ़ जाती है।

आईआईटी मद्रास में आईआईटीएम प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन 5जी कोर नेटवर्क फ़ंक्शंस और रेडियो एक्सेस नेटवर्क (RAN) सॉफ्टवेयर के लिए एक स्वदेशी सिक्योरिटी टेस्टिंग सॉल्यूशन विकसित कर रहा है। यह प्रौद्योगिकी सॉल्यूशन फ़ज़िंग और टेस्टिंग ओरेकल जैसी तकनीकों का उपयोग करके स्वचालित रूप से नेटवर्क में जीरो डे वल्नरबिलिटी की पहचान कर सकता है।

जीरो डे वल्नरबिलिटी को कम करने से अटैक सरफेस एरिया कम हो जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप रैंसम  का भुगतान करने की आवश्यकता कम हो जाएगी और 5G नेटवर्क के नेटवर्क डाउनटाइम में भी कमी आएगी जो संचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जीरो डे वल्नरबिलिटी किसी एप्लिकेशन या ऑपरेटिंग सिस्टम में एक अनदेखा फॉल्ट है, यानी सिस्टम की सुरक्षा में  कमी है जिसके लिए कोई बचाव या पैच उपलब्ध नहीं है क्योंकि सॉफ्टवेयर निर्माता को पता नहीं चलता है कि यह खतरा मौजूद है – और उनके पास इस हमले से निपटने के लिए तैयार रहने और बचाव करने के लिए “शून्य दिन” यानी जीरो डे होता है।

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