टैम्पोन टैक्स (Tampon tax)

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 500 मिलियन महिलाएं अपने मासिक धर्म को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष करती हैं, और इसका एक कारण यह है कि वे सैनिटरी पैड का खर्च नहीं उठा सकती हैं।

“पीरियड पावर्टी” (period poverty) की इस चिंता से निपटने के लिए  विश्व स्तर पर तथाकथित टैम्पोन टैक्स (Tampon tax) को समाप्त करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। पीरियड्स पॉवर्टी सैनिटरी उत्पादों की कमी; मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता की कमी; शौचालय का नहीं होना, हाथ धोने की सुविधा, या अपशिष्ट प्रबंधन की कमी है।

दरअसल, टैम्पोन टैक्स (Tampon tax) उपभोग शुल्क जैसे मूल्य वर्धित कर (वैट) को संदर्भित करता है जो अधिकांश देश सैनिटरी पैड, टैम्पोन, पैंटी लाइनर्स और मासिक धर्म कप जैसी वस्तुओं पर वसूलते हैं।

विडंबना तो यह है कि कुछ देशों में, पीरियड प्रबंधन उत्पादों को वैट उद्देश्यों के लिए गैर-आवश्यक वस्तु माना जाता है, जबकि टॉयलेट पेपर, कंडोम और ओवर-द-काउंटर दवाओं सहित आइटम कर-मुक्त हैं या कम शुल्क वसूले जाते हैं।

केन्या 2004 में सैनिटरी पैड और टैम्पोन पर वैट खत्म करने वाला पहला देश था। तब से कम से कम 17 देशों ने इसी तरह के कदम उठाये हैं।

टैम्पोन टैक्स को खत्म करने के लिए कानून पारित करने वाले नवीनतम देशों में मेक्सिको, ब्रिटेन और नामीबिया हैं।

महिला अधिकारों के कुछ पैरोकारों का कहना है कि मुफ्त पैड का वितरण सभी को पीरियड प्रबंधन उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका हो सकता है।

2022 में, स्कॉटलैंड टैम्पोन और सैनिटरी पैड को मुफ्त बनाने और सामुदायिक केंद्रों, युवा क्लबों और फार्मेसियों जैसे निर्दिष्ट सार्वजनिक स्थानों पर उपलब्ध कराने वाला पहला देश बन गया था।

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