ओरण भूमि का संरक्षण
हाल में पश्चिमी राजस्थान के दूरदराज के गांवों और बस्तियों से निकाली गयी 225 किमी की एक अनूठी यात्रा जैसलमेर जिला मुख्यालय पर समाप्त हुई। यह यात्रा ओरण या पवित्र उपवनों (orans or sacred groves) के संरक्षण के लिए आयोजित की गयी थी।
वर्तमान में, ओरण जैव विविधता हॉटस्पॉट को बंजर भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
ग्रामीण इस क्षेत्र को ‘ओरण भूमि’ (oran land) के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने की भी मांग कर रहे हैं।
ओरण को विनाश के खतरे का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इन जमीनों को अक्षय ऊर्जा के बुनियादी ढांचे और हाईटेंशन बिजली लाइनों के लिए आवंटित की जा रही है।
ओरण भारत के क्रिटिकली एंडडेंजर्ड पक्षी, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी) के लिए प्राकृतिक हैबिटैट भी बनाते हैं। ये ओरण बड़ी संख्या में रोहिड़ा, बोर्डी, कुम्भट और देसी बबूल जैसे पेड़ों और फूलों के साथ जैव विविधता के आकर्षण के केंद्र हैं।