नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule)
छत्तीसगढ़ ने प्रधानमंत्री से राज्य में 76% आरक्षण का प्रावधान करने वाले प्रावधानों को नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) में शामिल करने का आग्रह किया है।
गौरतलब है कि 76 प्रतिशत आरक्षण संबंधी प्रावधान, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1992 के इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ (Indra Sawhney v Union of India) मामले में दिए गए फैसले में निर्धारित 50 प्रतिशत की ऊपरी सीमा का उल्लंघन है। इस निर्णय में अधिकतम 50% आरक्षण देने की बात कही गयी थी।
हालाँकि, नौवीं अनुसूची में किसी कानून को शामिल करने से यह न्यायिक परीक्षण से बच जाता है। बता दें कि नौवीं अनुसूची केंद्रीय और राज्य द्वारा कानूनों की एक सूची है, जिन्हें अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
वर्तमान में, 284 ऐसे कानून न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हैं।
नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule)
इस अनुसूची के तहत सूचीबद्ध अधिकांश कानून कृषि/भूमि के मुद्दों से संबंधित हैं। वर्ष 1951 में संविधान में पहला संशोधन (First Amendment) के माध्यम से यह अनुसूची संविधान का हिस्सा बनी थी।
यह अनुसूची अनुच्छेद 31B जोड़कर शामिल की गयी थी, जिसे 31A के साथ सरकार द्वारा कृषि सुधार से संबंधित कानूनों की रक्षा करने और जमींदारी प्रथा उन्मूलन करने के लिए लाया गया था।
हालांकि नौवीं अनुसूची किसी कानून को न्यायिक समीक्षा से बाहर करती है, लेकिन इसकी भी सीमाएं हैं।
वर्ष 2007 में आई. आर. कोएल्हो बनाम तमिलनाडु राज्य (I R Coelho v State of Tamil Nadu) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नौ-न्यायाधीशों की के पीठ ने एक सर्वसम्मत फैसले में फैसला सुनाया था कि नौवीं अनुसूची के तहत रखे गए कानूनों को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है लेकिन संविधान की मूल संरचना (basic structure) का उल्लंघन करने के आधार पर चुनौती दी जा सकती है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि 1973 के बाद नौवीं अनुसूची में डाले गए कानून “मूल संरचना” टेस्ट से बच नहीं सकते हैं। Ans (b)