हेग एपोस्टिल कन्वेंशन

18 जनवरी 2024 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना कि केंद्र सरकार 5 अक्टूबर 1961 को अपनाये गए  हेग एपोस्टिल कन्वेंशन (Hauge Apostille Convention) का हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते विदेशी पब्लिक डाक्यूमेंट्स  के वैधीकरण की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए बाध्य है।  

न्यायालय ने माना कि सरकार एपोस्टिल कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने वाले देशों द्वारा जारी किए गए एपोस्टिल डाक्यूमेंट्स की विश्वसनीयता ओर सवाल नहीं कर सकती है।

भारत हेग एपोस्टिल कन्वेंशन, 1961 का सदस्य है।

एपोस्टिल व्यक्तिगत दस्तावेजों जैसे जन्म/मृत्यु/विवाह प्रमाण पत्र, शपथ पत्र, पावर ऑफ अटॉर्नी आदि और शैक्षिक दस्तावेजों जैसे डिग्री, डिप्लोमा, मैट्रिकुलेशन और माध्यमिक स्तर के प्रमाण पत्र आदि के लिए किया जाता है।

चूंकि भारत हेग एपोस्टिल कन्वेंशन, 1961 का सदस्य है, ऐसे में भारत में अपोस्टिलड डॉक्यूमेंट का उपयोग करने के लिए किसी सदस्य देश द्वारा प्रेषित दस्तावेज़ का कोई और सत्यापन या वैधीकरण आवश्यक नहीं होना चाहिए। 

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