दरियाई घोड़ा (Hippopotamus)

दरियाई घोड़ा (Hippopotamus), जिसे आमतौर पर “हिप्पो” कहा जाता है, पृथ्वी पर पाया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा लैंड-एनिमल है। नर दरियाई घोड़े का वजन 9,920 पाउंड तक हो सकता है जबकि मादाओं का वजन लगभग 3,000 पाउंड तक हो सकता है।

नदियों और झीलों में बहुत समय बिताने के बावजूद दरियाई घोड़े तैर नहीं सकते। नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, दरियाई घोड़े न तो पानी के भीतर सांस ले सकते हैं और न ही तैर सकते हैं।

दरियाई घोड़े की सघन हड्डी संरचना और भारी शरीर के कारण दरियाई घोड़े पानी में डूब जाते हैं। इससे जानवरों को तैरना मुश्किल हो जाता है। इसके बावजूद, दरियाई घोड़े प्रति दिन 16 घंटे तक पानी में बिताते हैं।

जब दरियाई घोड़े गहरे पानी में होते हैं, तो वे जमीन पर चलकर आगे बढ़ सकते हैं। जब उन्हें सांस लेने की आवश्यकता होती है, तो दरियाई घोड़े जमीन से धक्का देकर साँस लेने के लिए ऊपर उठ जाते हैं। एक बार जब वे सांस ले लेंगे, तो दरियाई घोड़े वापस पानी में चले जाते हैं।

भारत में वर्तमान में कोई दरियाई घोड़ा प्राकृतिक स्थलों (वाइल्ड) में प्राप्त नहीं होते हैं बल्कि चिड़ियाघरों में प्राप्त होते हैं। लेकिन लगभग 5.9 मिलियन से 9,000 साल पहले, भारत में दरियाई घोड़े रहा करते थे।

ये अफ्रीका से यूरेशिया में प्रवेश करने के बाद फ़ैल गए और फिर दक्षिण एशिया में प्रवेश किये। इस तरह विलुप्त होने से पहले यह भारत में भी बहुत पहले पाया जाता है।

शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने मध्य प्रदेश में हिप्पो हेक्साप्रोटोडोन प्रजाति के आखिरी ज्ञात नमूने की खोज की थी। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि यह भारत में रहने वाला आखिरी नमूना था।

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