हाइबरनेशन, टॉरपोर, एस्टीवेशन
नर आर्कटिक ग्राउंड गिलहरी हर साल युवावस्था (puberty) से गुजरती हैं। अब मादाओं में भी यह लक्षण दिखने लगा है जो एक समस्या बन गयी है। साइंस जर्नल में प्रकाशित एक पेपर के अनुसार, ऐसा लगता है कि जलवायु परिवर्तन ने उन्हें हाइबरनेशन (hibernation) पूरा होने से पहले जगा दिया है। यह चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि यह जानवरों के मेटिंग साइकल के समय को खराब कर सकता है।
गौरतलब है कि जब भोजन की आपूर्ति कम हो जाती है और तापमान गिर जाता है, तो जानवर हाइबरनेट (निष्क्रिय) हो जाते हैं। चरम सर्दी में आहार के लिए भटकना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। इसलिए कुछ जानवर लंबी अवधि के लिए गहरी निद्रा में चले जाते हैं, जबकि कुछ जानवर सक्रिय रहने के बाद भी अपनी गतिविधियां बहुत कम कर देते हैं।
कुछ जानवरों में उपर्युक्त दोनों स्थितियां देखी जाती हैं। इन्हें टॉरपोर (Torpor) के नाम से जाना जाता है। हाइबरनेटिंग स्थिति में जाने वाले जानवर अपनी मेटाबॉलिज्म (चयापचय) को धीमा कर देते हैं ताकि ऊर्जा बचायी जा सके।
हाइबरनेटिंग जानवरों में शामिल हैं: चमगादड़, गिलहरी, मर्मोट, लेमर्स, हेजहोग, केंचुए, टोड, मधुमक्खियां, तितलियां।
बता दें कि गर्म जलवायु में भी जानवर हाइबरनेशन के एक अन्य रूप से गुजरते हैं जिसे एस्टीवेशन (aestivation) कहा जाता है।