फणीगिरी कलाकृतियाँ (Phanigiri Artefacts)
हाल में न्यूयॉर्क मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ़ आर्ट में 200 ईसा पूर्व-400 ईस्वी की तेलंगाना की फणीगिरी कलाकृतियाँ (Phanigiri artefacts) प्रदर्शित की गई थीं।
ये कलाकृतियां बौद्ध धर्म के इतिहास में एक युगांतरकारी बदलाव का वर्णन करती हैं। फणीगिरि बौद्ध स्थल को इस सहस्राब्दी में बौद्ध मूर्तिकला के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक माना जाता है। इसे 1942 में खोजा गया था और 2003 में फिर से खोजा गया।
तेलंगाना के सूर्यापेट जिले में फणीगिरी (जिसका अर्थ है सांप के फन जैसी पहाड़ी) हैदराबाद से लगभग 150 किमी दूर स्थित एक छोटा सा गाँव है।
फणीगिरि में खोजे गए तोरण बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये साँची के दक्षिण में सबसे पहले पाए गए तोरण में से एक हैं। उसी तोरण में एक पैनल है जो महायान और हीनयान, दोनों विचारधाराओं को दर्शाता है।
यह दर्शाता है कि दार्शनिक मतभेदों के बावजूद, दोनों उप-संप्रदाय फणीगिरी में सह-अस्तित्व में थे।
फणीगिरी की खोज का महत्व इस तथ्य से देखा जा सकता है कि इस कलाकृति के मोनोग्राफ में बुद्ध की छवि है, जो सिलवटों के साथ रोमन टोगा (Roman toga) की तरह दिखती है, जिसे चूना पत्थर में उकेरा गया है।