डीप ओशन मिशन और समुद्रयान
भारत की समुद्री स्थिति अद्वितीय है। इसकी 7,517 किमी लंबी तटरेखा नौ तटीय राज्यों और 1,382 द्वीपों का आवास है। फरवरी 2019 में प्रतिपादित किए गए भारत सरकार के 2030 तक के नए भारत के विकास की अवधारणा के दस प्रमुख आयामों में से ब्लू इकॉनमी भी एक प्रमुख आयाम है।
गौरतलब है कि यूएन इंटरनेशनल सीड बेड अथॉरिटी (UN International Sea Bed Authority) ने पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स (polymetallic nodules : PMN) के खनन हेतु भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin: CIOB) ) में 1,50,000 वर्ग किलोमीटर आवंटित किया है।
डीप ओशन मिशन
इसी को ध्यान में रखते हुए जून 2022 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाने और महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहरे समुद्र प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के उद्देश्य से “गहरे समुद्र अभियान” (Deep Ocean Mission) पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
इस गहरे समुद्र अभियान में निम्नलिखित छह प्रमुख घटक शामिल हैं:
1. गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास,
2. महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास,
3. गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार,
4. गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और अन्वेषण,
5. महासागर से ऊर्जा और मीठा पानी (अपतटीय महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (ओटीईसी) विलवणीकरण संयंत्र के लिए अध्ययन और विस्तृत इंजीनियरिंग डिजाइन),
6. महासागर जीवविज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन।
समुद्रयान (Samudrayaan)
केंद्र सरकार ने 29 OCT 2021 को भारत के पहले मानव युक्त समुद्र मिशन ‘समुद्रयान’ (Samudrayaan) का शुभारंभ किया गया था। अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन के बाद भारत भी उस विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है जिनके पास समुद्र के अंदर की गतिविधियों के लिए मानव युक्त मिशन चलाने की क्षमता है।
यह विशिष्ट प्रौद्योगिकी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को समुद्र में 1000 से 5500 मीटर की गहराई में पाए जाने वाले पॉलिमेटेलिक मैंगनीज नोड्यूलस, गैस हाइड्रेट्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड्स और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे निर्जीव संसाधनों के अन्वेषण की दिशा में सुविधा प्रदान करेगी।
मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ का प्रारंभिक डिजाइन तैयार कर लिया गया है और इसरो, आईआईटीएम तथा डीआरडीओ सहित विभिन्न संगठनों के साथ इसको मूर्त रूप देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
समुद्र के भीतर की प्रौद्योगिकियों के उन्नयन से चीन द्वारा 2020 में विकसित की गई मानवयुक्त पनडुब्बी फेंडोज़े ने हाल ही में 11000 मीटर की गहराई तक गोता लगाया था।