ग्लोबल मीन सी लेवल (GMSL)
ग्लोबल मीन सी लेवल (Global Mean Sea Level: GMSL) पूरे महासागर की सतह (ocean surface) की औसत ऊंचाई है। वैश्विक माध्य समुद्री स्तर (GMSL) में वृद्धि मुख्य रूप से ग्लोबल वार्मिंग से संबंधित दो कारकों के कारण होती है: (1) भूमि-आधारित बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र में अतिरिक्त पानी का आना और (2) गर्म होने पर समुद्री जल का विस्तार।
- वैश्विक माध्य समुद्री स्तर यानी ग्लोबल मीन सी लेवल (Global Mean Sea Level: GMSL) वर्ष 2021 में एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो 2013-2021 की अवधि में प्रति वर्ष औसतन 4.5 मिमी की दर से बढ़ रहा है।
- यह 1993 और 2002 के बीच समुद्र के स्तर में वृद्धि की दर से दोगुने से अधिक है।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा मई 2022 में जारी स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट-2021 की रिपोर्ट में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में समुद्र के स्तर में वृद्धि वैश्विक औसत से काफी तेज है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि 1993 के बाद से समुद्र का स्तर लगभग हर जगह बढ़ा है, लेकिन यह हर जगह समान रूप से नहीं बढ़ा है। कई क्षेत्र वैश्विक स्तर की तुलना में काफी तेजी से समुद्र के स्तर में वृद्धि की दर से प्रभावित हो रहे हैं जो स्थानीय और वैश्विक समुद्र के स्तर के बीच अंतर को दर्शाता है। यह विशेष रूप से पश्चिमी उष्णकटिबंधीय प्रशांत, दक्षिण-पश्चिम प्रशांत, उत्तरी प्रशांत, दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर और दक्षिण अटलांटिक में होता है।
भारतीय तटों के लैंडस्केप पर प्रभाव
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने लोकसभा को बताया था कि नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च (NCCR), चेन्नई 1990 से रिमोट सेंसिंग डेटा और जीआईएस मैपिंग तकनीकों का उपयोग करके तटरेखा क्षरण (shoreline erosion) की निगरानी कर रहा है।
- 1990 से 2018 तक मुख्य भूमि की लगभग 6,907.18 किलोमीटर लंबी भारतीय तटरेखा का निरीक्षण किया गया है और यह देखा गया है कि लगभग 34 प्रतिशत समुद्र तट अलग-अलग स्तरों पर क्षरण का सामना कर रहा है।
- पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 60.5 प्रतिशत क्षरण दर्ज किया गया है, इसके बाद पुडुचेरी (56.2 प्रतिशत) का स्थान है।
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