गेहूं में टर्मिनल हीट स्ट्रेस

यूक्रेन संकट के बीच भारत गेहूं (Triticum aestivum L) के निर्यात को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, हालांकि, उत्तर भारत में गर्म मौसम के कारण कम पैदावार के डर से इन प्रयासों को झटका लग सकता है।

  • काश्तकारों का कहना है कि उनकी प्रति एकड़ पैदावार (एक एकड़ 0.40 हेक्टेयर के बराबर) 10-15% गिर गई है।
  • मार्च में हीटवेव की स्थिति, जब फसल पकने की एडवांस स्टेज थी, अनाज सिकुड़ गया, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों प्रभावित हुए।
  • लुधियाना स्थित बोरलॉग इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक, इस तरह का मौसम पैटर्न आखिरी बार 2010 में देखा गया था, जब पंजाब में गेहूं की पैदावार में 26 फीसदी की गिरावट आई थी।

टर्मिनल हीट स्ट्रेस (terminal heat stress)

  • गेहूं की कटाई से पहले अत्यधिक शुष्क और गर्म मौसम एक ऐसी स्थिति का कारण बनता है जिसे टर्मिनल हीट स्ट्रेस (terminal heat stress) के रूप में जाना जाता है।
  • गेहूं में टर्मिनल हीट स्ट्रेस तब होता है जब बाली आने की अवस्था के दौरान औसत तापमान 31 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है।
  • सूखा और गर्मी का तनाव प्रकाश संश्लेषक दक्षता, स्टोमेटा चालकता, पत्ती क्षेत्र और गेहूं की जल-उपयोग दक्षता को काफी कम कर देता है।
  • हीट स्ट्रेसव से वाष्पीकरण बढ़ जाता है जिससे फसल पौधों में सूखे का दबाव बढ़ जाता है। इससे फली प्रभवित होती है।

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