गामा विकिरण तकनीक
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने 09/04/2022 को कहा कि भारत का परमाणु कार्यक्रम जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए है न कि मानव जीवन को नुकसान पहुंचाने के लिए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग की पुनर्गठित संयुक्त हिंदी सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की।
परमाणु ऊर्जा और विकिरण के अनुप्रयोग
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा और विकिरण के अनुप्रयोगों ने बिजली उत्पादन, कृषि, चिकित्सा, स्वास्थ्य, खाद्य संरक्षण, उन्नत बीज किस्मों, जल शोधन तकनीकी, शहरी अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकी, रेडियो आइसोटोप के औद्योगिक अनुप्रयोग और विशेष रूप से पेट्रोलियम उद्योग में विकिरण तकनीकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गामा विकिरण तकनीकी ( Gamma Irradiation Technology)
- डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि गामा विकिरण तकनीकी ( Gamma Irradiation Technology) का उपयोग बल्बों व ट्यूबों में अंकुरण को रोकने, अनाज, दालों और अनाज में कीट संक्रमण को रोकने, सूखे मसालों के सूक्ष्मजीव परिशोधन (स्वच्छता) आदि के लिए किया जाता है।
- इसके अलावा पूर्व निर्धारित विकिरण खुराकों को लागू करके संरक्षण/शेल्फ जीवन विस्तार के लिए भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) कोविड बीईईपी जैसे नए नवाचारों के साथ सामने आया, जो कोविड-19 रोगियों के लिए भारत की पहली स्वदेशी, कम लागत वाली वायरलेस शारीरिक मापदंडों की निगरानी प्रणाली है।
- गामा विकिरण तकनीक में कोबाल्ट -60 या सीज़ियम -137 रेडियोन्यूक्लियोटाइड से गामा किरणों के प्रति प्रति वस्तुओं को एक्सपोज़र कराकर हानिकारक तत्वों को निष्क्रिय किया जाता है।
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