क्या है NSE को-लोकेशन घोटाला (NSE co-location scam)?
स्टॉक एक्सचेंज बाजार में हेराफेरी से जुड़े एनएसई को-लोकेशन घोटाले (NSE co-location scam ) की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं, जिसमें पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण सहित कई पूर्व शीर्ष अधिकारी सवालों के घेरे में हैं।
- Co–location आमतौर पर एक ऐसा केंद्र से जुड़ा होता है, जहां कोई तीसरा पक्ष अन्य कंप्यूटर हार्डवेयर के साथ रैक/सर्वर स्पेस को लीज पर ले सकता है। को-लोकेशन सुविधा सर्वर स्थापित करने और डेटा के भंडारण के लिए बिजली की आपूर्ति, बैंडविड्थ और कूलिंग जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करती है।
- ऐसे आरोप हैं कि कुछ ब्रोकर जिन्होंने एनएसई को-लोकेशन केंद्र में जगह लीज पर ली थी, वे एल्गोरिथम ट्रेडिंग में लगे हुए बेहतर हार्डवेयर विनिर्देशों के साथ एनएसई के सिस्टम में तेजी से लॉग ऑन करने में सक्षम थे, जिसने उन्हें 2012 से 2014 की अवधि के दौरान अनुचित पहुंच और लाभ की अनुमति दी।
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी जांच में पाया था कि NSE के Co-location scam संकाय में स्टॉक ब्रोकरों को तरजीही पहुंच दी गई थी। यह पाया गया कि एक एकल स्टॉक ब्रोकर उसे सौंपे गए कई आईपी के माध्यम से कई प्रसार सर्वरों पर लॉग ऑन कर सकता है।