क्या है रहोडिओला (Rhodiola)?

केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने 8 सितम्बर को लेह के साबू थांग क्षेत्र में राष्ट्रीय सोवा रिगपा संस्थान (National Institute of Sowa Rigpa: NISR) के नए कॉम्प्लेक्स की आधारशिला रखी। नई अवसंरचना देश के लिए सोवा रिगपा की संभावनाओं का वृहद विस्तार होगा। इससे हिमालय से प्रदत्त इस भारतीय चिकित्सकीय विरासत के प्रसार के लिए जरूरी आधुनिक मंच भी उपलब्ध हो पाएगा।

सोवा रिगपा दुनिया की सबसे पुरानी, एडवांस तरीके से डॉक्युमेंटेड और लिविंग चिकित्सकीय पद्धति है। हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, लद्दाख और दूसरे हिमालयी क्षेत्रों के सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक-सांस्कृतिक तंत्र में इसकी मजबूत जड़े हैं।

स्वास्थ्य और कल्याण, पोषण, फार्मास्यूटिकल और लोगों की कॉस्मेटिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सोवा रिगपा के पास बहुत संभवनाएं हैं, जिससे क्षेत्र का आर्थिक विकास भी हो सकता है।

NISR सोवा रिगपा साहित्य और इसके संयोजन, बीमारियों और जनसांख्यिकीय अध्ययन पर शोध कर रहा है, साथ ही चिकित्सकीय पौधों के सर्वे, डॉक्यूमेंटेशनऔर उनके संरक्षण पर भी काम जारी है।

संस्थान ने सफलतापूर्वक अपने हर्बल बाग में रहोडिओला (Rhodiola) पौधों का बुवाई अध्ययन किया है। NISR, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटिग्रेटिव मेडिसिन (CSIR), जम्मू और एमिटी के साथ एक साझा अध्ययन भी शुरू किया है, जो Rhodiola पौधे की वैज्ञानिक संभावना से संबंधित है। इस तरह के पौधों में लद्दाख की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान देने की संभावना है।

Rhodiola imbricata एक पारंपरिक ट्रांस-हिमालयी लुप्तप्राय औषधीय हर्बल है जिसमें अपार चिकित्सीय एप्लीकेशन हैं।

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