क्या है पश्चिमी विक्षोभ (western disturbances)?

शोधकर्ताओं ने इस रहस्य को सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है कि काराकोरम रेंज (Karakoram Range) में ग्लेशियरों के कुछ हिस्से ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनदों को पिघलने से क्यों रोक रहे हैं और पूरे विश्व में ग्लेशियरों (हिमनदों) का द्रव्यमान खोने की उस प्रवृत्ति को कैसे झूठला रहे हैं जिसका हिमालय भी कोई अपवाद नहीं है। उन्होंने ‘कराकोरम विसंगति’ (Karakoram Anomaly) नामक इस घटना के लिए पश्चिमी विक्षोभ (western disturbances: WDs))के फिर से सामने आने को जिम्मेदार ठहराया है।

क्या है पश्चिमी विक्षोभ (western disturbances: WD)?

पश्चिमी विक्षोभ (western disturbances: WD) एक एक्स्ट्रा-उष्णकटिबंधीय तूफान (extra-tropical storm) है जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होता है।

पश्चिमी विक्षोभ का अर्थ इसके नाम से पता चलता है। पश्चिमी विक्षोभ “पश्चिमी” से पूर्व दिशा की ओर गमन करता है।

विक्षोभ का अर्थ है “अशांत” या कम वायुदाब का क्षेत्र।

प्रकृति संतुलित होती है जिसके कारण किसी क्षेत्र की वायु अपने दाब को सामान्य करने का प्रयास करती है।

“एक्स्ट्रा ट्रॉपिकल तूफान” शब्द में, तूफान कम दबाव को दर्शाता है। “एक्स्ट्रा ट्रॉपिकल” का अर्थ उष्णकटिबंध के बाहर है। चूंकि पश्चिमी विक्षोभ उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के बाहर उत्पन्न होता है, इसलिए “एक्स्ट्रा-उष्णकटिबंधीय” शब्द उसके साथ जुड़ा हुआ है।

पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी भारत में वर्षा, बर्फबारी और कोहरे से जुड़ा है। इसके आगमन पर पाकिस्तान और उत्तरी भारत में बारिश और बर्फ के साथ बादल भी आते हैं।

पश्चिमी विक्षोभ अपने साथ जो नमी लेकर आता है वह भूमध्य सागर और/या अटलांटिक महासागर से आती है।

30,000 फीट की ऊंचाई पर हवाओं (जेट धाराओं) के पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर प्रवाह (तकनीकी रूप से जोनल फ्लो के रूप में संदर्भित) उस क्षेत्र में स्थिर मौसम (निम्न दबाव क्षेत्रों की कमी) को दर्शाता है।

जेट स्ट्रीम पूरे विश्व में क्षोभमंडल के ऊपरी स्तरों (30,000 फीट की ऊंचाई के करीब) पर एक नदी-धारा के सामान वायु-राशियां या एयर करेंट है। हालाँकि, जब एक विस्तृत निम्न दबाव क्षेत्र (जिसे गर्त/trough कहा जाता है) मौजूद होता है, तो यह धारा दक्षिण की ओर झुक जाती है, जिससे एक प्रकार का “U आकार” बनता है।

उत्तरी गोलार्ध में, वायु का वामावर्त प्रवाह (एंटी क्लॉकवाइज फ्लो ) एक निम्न दबाव क्षेत्र को इंगित करता है। यह निम्न दबाव पश्चिमी विक्षोभ से जुड़ा है।

पश्चिमी विक्षोभों के क्या प्रभाव हैं?

  • यह निचले इलाकों में मध्यम से भारी बारिश और भारतीय उपमहाद्वीप के पहाड़ी इलाकों में भारी मात्रा में बर्फ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह विक्षोभ आमतौर पर बादल छाए रहने, रात्रि में उच्च तापमान और असामान्य बारिश से जुड़ा होता है।
  • इससे होने वाली वर्षा का कृषि पर विशेष रूप से रबी फसलों पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
  • इस विक्षोभ के कारण उत्पन्न अत्यधिक वर्षा से फसल को नुकसान, भूस्खलन, बाढ़ और हिमस्खलन का कारण बन सकता है।
  • सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्रों में, यह कभी-कभी शीत लहर की स्थिति और घना कोहरा लाता है।
  • ये जलवायु परिस्थितियाँ किसी अन्य पश्चिमी विक्षोभ से प्रभावित होने तक स्थिर रहती हैं।
  • जब ये पश्चिमी विक्षोभ पूरे उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून की शुरुआत से पहले यात्रा करते हैं, तो प्रभावित क्षेत्र में मानसून की धारा के अस्थायी आगमन को संकेत करता है है।

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