सिल्वर नैनोवायर-आधारित कंडक्टिव इंक
हाल ही में, एनआईटी वारंगल में आयोजित एक कार्यक्रम में सिल्वर नैनोवायर-आधारित कंडक्टिव स्याही (Silver nanowire-based conductive ink) प्रौद्योगिकी की स्वदेशी तकनीक स्टार्टअप्स को हस्तांतरित की गई।
इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, सौर फोटोवोल्टिक और RFID (रेडियो फ़्रीक्वेंसी आइडेंटिफ़िकेशन) बाजारों में तेजी से वृद्धि के कारण सिल्वर नैनोवायर-बेस्ड कंडक्टिव इंक और चिपकने वाले पदार्थ का वैश्विक बाजार 2032 तक $16.87B को पार करने का अनुमान है।
भारत हर साल 15,72,000 डॉलर से अधिक मूल्य की स्याही का आयात करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और ताइवान प्रमुख निर्यातक देश हैं।
सिल्वर नैनोवायर-आधारित कंडक्टिव इंक का उपयोग आमतौर पर प्रिंटेड सर्किट बोर्डों पर सर्किट की मरम्मत या सुधार के लिए किया जाता है।
इस स्याही का उपयोग लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स (कम्प्यूटर कीबोर्ड, विंडशील्ड डिफ्रॉस्टर जैसे फोल्डेबल डिवाइस/स्क्रीन), RFID टैग, पहनने योग्य डिवाइस, सेंसर, डिस्प्ले प्रौद्योगिकी, सौर पैनल आदि में किया जाता है।