‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ को ‘गौरवशाली सप्ताह’ के रूप में मनाया जा रहा है
स्वतंत्रता के बाद 75 वर्षों की अवधि के दौरान देश की वैज्ञानिक उपलब्धियों का उत्सव मनाने और भविष्य की रूपरेखा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका को चिह्नित करने के उद्देश्य से एक देशव्यापी कार्यक्रम ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ को ‘गौरवशाली सप्ताह’ (22-28 फरवरी) के रूप में मनाया जा रहा है।
- यह पहल देश की वैज्ञानिक विरासत और प्रौद्योगिकी कौशल को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है, जिससे रक्षा, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, कृषि, खगोल विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में समस्याओं का समाधान खोजने में मदद मिली है।
- 22 फरवरी से शुरू होकर इस कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर 28 फरवरी 2022 को होगा।
इस पूरे आयोजन को चार खंडों (थीम) के अंतर्गत समूहीकृत किया गया है:
- पहले खंड का नाम ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी इतिहास के 75 केंद्र बिंदु’ है, दूसरे खंड का नाम ‘आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मील के पत्थर’ है। कार्यक्रम का तीसरा खंड – ‘स्वदेशी पारंपरिक आविष्कार और नवाचार’ है। चौथे खंड का नाम – ‘ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ (बदलता भारत) है।
- यह देश के सभी 75 स्थानों पर एक साथ आयोजित किया जा रहा है।
- ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ कार्यक्रम कश्मीरी, डोगरी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगु, उड़िया, बंगाली, असमिया, नेपाली, मैथिली और मणिपुरी सहित विभिन्न स्थानीय भाषाओं में आयोजित किया जाएगा और इसमें 75 फिल्मों की स्क्रीनिंग शामिल होगी।