लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किए पंचप्रण
प्रधानमंत्री के अनुसार वर्ष 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे तब आजादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठा करके चलना होगा। इसलिए वर्ष 2047 तक यानी अगले 25 वर्षों में ये प्रण प्राप्त किये जायेंगे:
पहला प्रण है कि अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा। यानी विकसित भारत, अब उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए।
दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर, हमारी आदतों के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी कोई है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। अब शत-प्रतिशत, शत-प्रतिशत सैंकड़ों साल की गुलामी ने जहां हमें जकड़ कर रखा है, हमें हमारे मनोभाव को बांध करके रखा हुआ है, हमारी सोच में विकृतियां पैदा करके रखी हैं।
तीसरा प्रण, हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए, हमारी विरासत के प्रति क्योंकि यही विरासत है जिसने कभी भारत को स्वर्णिम काल दिया था। और यही विरासत है जो समयानुकूल परिवर्तन करने आदत रखती है। यही विरासत है जो काल-बाह्य छोड़ती रही है।
चौथा प्रण है एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों में एकता, न कोई अपना न कोई पराया, एकता की ताकत, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सपनों के लिए हमारा।
और पांचवां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य, जिसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता, मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होता।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण की मुख्य बातें
75 साल की हमारी ये यात्रा अनेक उतार-चढ़ाव से भरी हुई है। सुख-दु:ख की छाया मंडराती रही है और इसके बीच भी हमारे देशवासियों ने उपलब्धियां हासिल की हैं, पुरुषार्थ किया है, हार नहीं मानी है, संकल्पों को ओझल नहीं होने दिया है।
भारत की विविधता ही भारत की अनमोल शक्ति है। शक्ति का एक अटूट प्रमाण है। दुनिया को पता नहीं था कि भारत के पास एक inherent सामर्थ्य है, एक संस्कार सरिता है, और वो है भारत लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है।
महासंकल्प, मेरा देश विकसित देश होगा, developed country होगा, विकास के हरेक पैरामीटर में हम मानवकेंद्री व्यवस्था को विकसित करेंगे, हमारे केंद्र में मानव होगा, हमारे केंद्र के मानव की आशा-आकांक्षाएं होंगी। हम जानते हैं, भारत जब बड़े संकल्प करता है तो करके भी दिखाता है।
हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए। हमें भाषा आती हो या न आती हो, लेकिन मेरे देश की भाषा है, मेरे पूर्वजों ने दुनिया को दी हुई ये भाषा है, हमें गर्व होना चाहिए।
अगर बेटा-बेटी एकसमान नहीं होंगे तो एकता के मंत्र नहीं गुथ सकते हैं। जेंडर इक्वैलिटी हमारी एकता में पहली शर्त है।
क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। यह सामर्थ्य मैं देख रहा हूँ और इसलिए मैं इस बात का आग्रही हूँ।
हमें कर्तव्य पर बल देना ही होगा। चाहे पुलिस हो, या पीपुल हो, शासक हो या प्रशासक हो, यह नागरिक कर्तव्य से कोई अछूता नहीं हो सकता। हर कोई अगर नागरिक के कर्तव्यों को निभाएगा तो मुझे विश्वास है कि हम इच्छित लक्ष्य को प्राप्त करने में समय से पहले सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
हमें आत्मनिर्भर बनना है, एनर्जी सेक्टर में। सोलर क्षेत्र हो, विंड एनर्जी का क्षेत्र हो, रिन्यूएबल के और भी जो रास्ते हों, मिशन हाइड्रोजन हो, बायो फ्यूल की कोशिश हो, electric vehicle पर जाने की बात हो, हमें आत्मनिर्भर बनकर के इन व्यवस्थाओं को आगे बढ़ाना होगा।
हमारा प्रयास है कि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समंदर की गहराई तक रिसर्च के लिए भरपूर मदद मिले। इसलिए हम स्पेस मिशन का, Deep Ocean Mission का विस्तार कर रहे हैं। स्पेस और समंदर की गहराई में ही हमारे भविष्य के लिए जरूरी समाधान है।
आज मुझे खुशी है हिन्दुस्तान के चार लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स गांवों में विकसित हो रहे हैं। गांव के नौजवान बेटे-बेटियां कॉमन सर्विस सेंटर चला रहे हैं।
ये जो डिजिटल इंडिया का मूवमेंट है, जो सेमीकंडक्टर की ओर हम कदम बढ़ा रहे हैं, 5G की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, ऑप्टिकल फाइबर का नेटवर्क बिछा रहे हैं, ये सिर्फ आधुनिकता की पहचान है, ऐसा नहीं है। तीन बड़ी ताकतें इसके अंदर समाहित हैं। शिक्षा में आमूल-चूल क्रांति- ये डिजिटल माध्यम से आने वाली है। स्वास्थ्य सेवाओं में आमूल-चूल क्रांति डिजिटल से आने वाली है। किसी जीवन में भी बहुत बड़ा बदलाव डिजिटल से आने वाला है।
हम जीवन के हर क्षेत्र में देखें, खेल-कूद का मैदान देखें या युद्ध की भूमि देखें, भारत की नारी शक्ति एक नए सामर्थ्य, नए विश्वास के साथ आगे आ रही है। उनका भारत की 75 साल की यात्रा में जो योगदान रहा है, उसमें मैं अब कई गुना योगदान आने वाले 25 साल में नारीशक्ति का देख रहा हूं।
भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं।
जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं। जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है।
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