‘लाभ के पद’ के मामले में चुनाव आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन को भेजा नोटिस
चुनाव आयोग (EC) ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उनके नाम पर 2021 में खनन पट्टे के आवंटन के लिए लाभ के पद (office-of-profit ) के आरोप में नोटिस भेजा है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 A (Representation of the People Act, 1951) के तहत , श्री सोरेन को एक सरकारी अनुबंध में प्रवेश करने के लिए अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है आरोप ?
- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने आरोप लगाया है कि श्री सोरेन, जो खुद राज्य के खान मंत्री भी थे, ने रांची के बाहर सरकारी जमीन पर अपने नाम पर एक पत्थर खनन पट्टा आवंटित करके अपने पद का दुरुपयोग किया है ।
- प्लॉट संख्या 482 पर पत्थर खनन पट्टे के लिए सोरेन का आवेदन 13 साल से लंबित था और रांची में जिला खनन कार्यालय ने 10 जुलाई, 2021 को इसे मंजूरी दे दी थी।
- भाजपा ने कहा कि यह पट्टा अनुबंध, कानून का उल्लंघन है क्योंकि जिस जिला खनन कार्यालय ने पट्टा की मंजूरी दी , वह राज्य के खान विभाग को रिपोर्ट करता है जिसके प्रभारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 A
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 A के अनुसार एक व्यक्ति को अयोग्य घोषित कर दिया जा सकता है यदि वह अपने व्यापार या व्यवसाय के लिए वस्तु की आपूर्ति के लिए या सरकार के किसी भी कार्य के निष्पादन के लिए समुचित सरकार के साथ एक अनुबंध करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और अनुच्छेद 191 (1) के प्रावधानों के तहत, एक सांसद या विधायक (या एमएलसी) को केंद्र या राज्य सरकार के तहत लाभ का कोई पद धारण करने से रोक दिया जाता है।
पूर्व निर्णय
- हालांकि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अशोक गांगुली ने कहा कि शीर्ष अदालत के पहले के फैसलों को देखते हुए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9 ए के तहत झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पद के लिए अयोग्य घोषित किये जाने की कम संभावना है ।
- उन्होंने सीवीके राव बनाम डेंटू भास्कर राव के 1964 के मामले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक खनन पट्टा वस्तु की आपूर्ति के लिए अनुबंध नहीं है।
- उन्होंने 2001 के करतार सिंह भड़ाना बनाम हरि सिंह नलवा और अन्य के मामले में शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ के निर्णय का हवाला दिया जिसमें शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि खनन पट्टा दिया जाना सरकार द्वारा शुरू किए गए कार्य में भागीदारी नहीं है ।
- हालांकि दलील जो भी, नैतिकता के दृष्टिकोण से सही नहीं है। एक मुख्यमंत्री, जो खान मंत्री का भी प्रभारी है, खुद के नाम के खनन पट्टा को मंजूरी दे, यह शासन में नैतिकता पर सवाल पैदा करता है।
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