माया: दुनिया में पहली बार जंगली आर्कटिक भेड़िये का क्लोन

बीजिंग स्थित एक जीन फर्म-सिनोजीन बायोटेक्नोलॉजी (Sinogene Biotechnology ) ने दुनिया में पहली बार एक जंगली आर्कटिक भेड़िये (wild Arctic wolf) का सफलतापूर्वक क्लोन (cloned) बनाया है।

आर्कटिक भेड़िया, जिसे सफेद भेड़िया या ध्रुवीय भेड़िया के रूप में भी जाना जाता है, कनाडा के उत्तरी आर्कटिक द्वीपसमूह में उच्च आर्कटिक टुंड्रा मूल की ग्रे वुल्फ की एक उप-प्रजाति है।

क्लोनिंग तकनीक के माध्यम से दुर्लभ और एनडेंजर्ड प्रजातियों के संरक्षण में इसे एक मील का पत्थर उपलब्धि माना जा रहा है।

क्लोन किए गए भेड़िये का नाम ‘माया’ (Maya) है।

‘माया’ भेड़िया को सृजित के लिए, कंपनी ने सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर (somatic cell nuclear transfer) नामक एक प्रक्रिया का इस्तेमाल किया। यह वही तकनीक है जिसका इस्तेमाल 1996 में पहली बार स्तनपायी क्लोन, डॉली भेड़ को जन्म देने के लिए किया गया था।

भेड़िये की डोनर सेल जंगली मादा आर्कटिक भेड़िया की त्वचा के नमूने से आई थी और उसका अंडाणु (oocyte) एक मादा कुत्ते से लिया गया था।

वैज्ञानिक 85 ऐसे भ्रूण बनाने में सक्षम थे, जिन्हें सात बीगल (कुत्ते की नस्ल) के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया गया था – जिसके परिणामस्वरूप माया नामक एक स्वस्थ आर्कटिक भेड़िया क्लोन का जन्म हुआ।

कुत्ते को सरोगेट के रूप में चुना गया था क्योंकि यह प्राचीन भेड़ियों के साथ आनुवंशिक वंश साझा करती हैं और इसलिए, क्लोनिंग में सफलता सुनिश्चित करता है।

प्रजातियों के संरक्षण हेतु क्लोनिंग तकनीक का इस्तेमाल

यह पहली बार नहीं है जब प्रजातियों के संरक्षण हेतु वैज्ञानिकों द्वारा क्लोनिंग तकनीक (cloning technology) का इस्तेमाल किया गया है।

मलेशिया में, वैज्ञानिक सरोगेट माताओं का उपयोग करके नए गैंडों को जन्म देने के लिए जमे हुए ऊतकों और कोशिकाओं का उपयोग करने की उम्मीद कर रहे हैं।

2020 के अंत में, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक लुप्तप्राय जंगली काले पैरों वाले फेर्रेट का सफलतापूर्वक क्लोन बनाया, जिसे कभी विश्व स्तर पर विलुप्त माना जाता था।

ऑस्ट्रेलिया में एक टीम विलुप्त तस्मानियाई बाघ को फिर से जीवित करने के लिए मार्सुपियल से कोशिकाओं को एडिट करने की कोशिश कर रही है।

लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने की दौड़ में दुनिया भर के वैज्ञानिकों के बीच क्लोनिग में दिलचस्पी बढ़ रही है क्योंकि पृथ्वी पर व्यापक रूप से छठी सामूहिक प्रजाति विलुप्ति (sixth mass extinction) घटित होने की आशंका जताई जा रही है।

सोमैटिक सेल क्लोनिंग/Somatic cell cloning

सोमैटिक सेल क्लोनिंग/Somatic cell cloning (क्लोनिंग या न्यूक्लियर ट्रांसफर) एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक सोमैटिक सेल के न्यूक्लियस (DNA) को एक नए व्यक्ति की पीढ़ी के लिए एक एनक्लुएटेड मेटाफ़ेज़- II अंडाणु में स्थानांतरित किया जाता है, जो आनुवंशिक रूप से सोमैटिक सेल डोनर के समान होता है।

सोमैटिक कोशिकाएं शुक्राणु और अंडाणु कोशिकाओं (जिन्हें जर्म कोशिका कहा जाता है) के अलावा शरीर की अन्य कोशिकाएं होती हैं।

मनुष्यों में, सोमैटिक कोशिकाएं द्विगुणित (diploid) होती हैं, जिसका अर्थ है कि उनमें गुणसूत्रों (chromosomes) के दो सेट होते हैं, जो प्रत्येक माता-पिता से विरासत में मिला होता है।

सोमैटिक कोशिकाओं में डीएनए उत्परिवर्तन (DNA mutations) एक व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन उन्हें उनकी संतानों में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।

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