भारतीय NavIC से लैस होंगे स्मार्टफोन- सरकार ने दिए निर्देश
भारत सरकार ने सैमसंग, एपल, शाओमी और वीवो जैसी स्मार्टफोन कंपनियों को अपने नए स्मार्टफोन को भारतीय नेविगेशन सिस्टम नाविक (NavIC) के सपोर्ट के साथ लॉन्च करने के आदेश दिए हैं।
क्या है भारत सरकार का पक्ष?
नाविक को विदेशी उपग्रहों और नेविगेशन सर्विस की जरूरतों पर निर्भरता से मुक्त करने किये बनाया गया है, विशेष रूप से सामरिक क्षेत्रों में।
अमेरिकी GPS और रसियन ग्लोनास जैसी नेविगेशन सिस्टम पर हमेशा भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि इनका कंट्रोल इन देशों की सुरक्षा एजेंसियों के हाथों में होता है। द्विपक्षीय संबंध ख़राब रहने पर हो सकता है कि ये सेवा उपलब्ध कराने से मना कर दे या आनाकानी करे।
भारत सरकार का कहना है नाविक एक घरेलू सिस्टम है जो भारत के नियंत्रण में है। इसलिए इस तरह के खतरों की आशंका नहीं रहेगी।
नाविक (NavIC) क्या है?
नाविक (NavIC) नेविगेशन विद इंडियन कॉनस्टेलेशन (Navigation with Indian Constellation) का संक्षिप्त रूप है।
यह भारत की एक स्वतंत्र नेविगेशन सिस्टम है। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विकसित किया है।
नाविक को वर्ष 2006 में मंजूरी दी गई थी और इसका बजट था 17.4 करोड़ डॉलर। वर्ष 2018 में इसने काम करना शुरू किया।
NavIC में 8 उपग्रह हैं और यह भारत की संपूर्ण भूमि के अलावा इसकी सीमा से 1500 किलोमीटर के दायरे में नेविगेशन सुविधा प्रदान करेगी।
NavIC का इस्तेमाल सार्वजनिक गाड़ियों पर निगाह रखने, गहरे समुद्र की तरफ जाने वाले मछुआरों को अलर्ट जारी करने में और प्राकृतिक आपदाओं की स्थित में जानकारी देने और नजर रखने के लिये किया जाता है। अब इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन में भी हो सकता है।
विश्व की अन्य नेविगेशन सिस्टम्स
अमेरिका की GPS की तरह, तीन और नेविगेशन सिस्टम हैं जिनमें वैश्विक कवरेज है – यूरोपीय संघ से गैलीलियो, रूस के स्वामित्व वाली ग्लोनास और चीन की बाइडू।
जापान द्वारा संचालित QZSS सिस्टम, जापान पर ध्यान देने के साथ एशिया-ओशिनिया क्षेत्र को कवर करने वाला एक अन्य क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम है।
इसी तरह भारत की NavIC सिस्टम भी क्षेत्रीय प्रणाली है।
मुख्य अंतर इन प्रणालियों द्वारा कवर किया जाने वाला सेवा योग्य क्षेत्र है। GPS दुनिया भर के उपयोगकर्ताओं को सेवा प्रदान करता है और इसके उपग्रह दिन में दो बार पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं, जबकि NavIC वर्तमान में भारत और आस-पास के क्षेत्रों में उपयोग के लिए है।