भारत की स्पेस इकोनॉमी GDP का लगभग 0.23% है
भारत की स्पेस इकॉनमी (अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था-Space Economy) काफी विकसित हो गई है और अब यह औसतन सकल घरेलू उत्पाद (2011-12 से 2020-21 तक) का लगभग 0.23% है।
- भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के आकार को मापने के अपने तरह के पहले प्रयास को सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज (सीडीएस) और भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है।
- इसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत की स्पेस इकॉनमी 36,794 करोड़ रूपये (लगभग $ 5 बिलियन) थी।
- शोधकर्ताओं ने पाया कि GDP के प्रतिशत के रूप में भारत की स्पेस इकॉनमी का अनुमानित आकार 2011-12 के 0.26% से घटकर 2020-21 में 0.19% हो गया है।
- ये निष्कर्ष “भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था: इसका आकार और संरचना” नामक शोध पत्र में प्रकाशित हुआ है ।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत ढांचे को नियोजित करके, लेखकों ने अंतरिक्ष कार्यक्रम और इसके घटकों के लिए वार्षिक बजट की जांच की है। इनमें अंतरिक्ष निर्माण, अंतरिक्ष संचालन और अंतरिक्ष अनुप्रयोग घटकों (space manufacturing, operations and application) को शामिल किया गया है।
- अध्ययन के अनुसार, अंतरिक्ष अनुप्रयोग घटक का इस विकसित अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक योगदान है, 2020-21 में इसका 73.57% (₹27,061 करोड़) था। इसके बाद अंतरिक्ष संचालन (₹8,218.82 करोड़ या 22.31%) और विनिर्माण (₹1,515.59 करोड़) या 4.12%) की हिस्सेदारी है।
- अध्ययन में यह भी पाया गया कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में अंतरिक्ष बजट 2000-01 में 0.09% से गिरकर 2011-12 में 0.05% हो गया, और तब से उस स्तर पर कमोबेश बना हुआ है।
- GDP के संबंध में, भारत का अंतरिक्ष व्यय चीन, जर्मनी, इटली और जापान की तुलना में अधिक है, लेकिन यू.एस. और रूस से कम है।
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