नाइट्रस ऑक्साइड गैस का दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है भारत

ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट द्वारा N2O उत्सर्जन अध्ययन के वैश्विक आकलन के अनुसार, विश्व में 1980 और 2020 के बीच लाफिंग गैस नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) गैस का उत्सर्जन 40 प्रतिशत बढ़ा है। यह अध्ययन अर्थ सिस्टम साइंस डेटा पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

चीन (16.7 प्रतिशत), भारत (10.9 प्रतिशत), अमेरिका (5.7 प्रतिशत), ब्राजील (5.3 प्रतिशत) और रूस (4.6 प्रतिशत)  नाइट्रस ऑक्साइड गैस के पांच सबसे बड़े उत्सर्जक देश हैं।

चीन के बाद, भारत नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। हालांकि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के मामले में स्थिति थोड़ा अलग है।  

भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन सबसे कम 0.8 किलोग्राम N2O/व्यक्ति है, अन्य शीर्ष उत्सर्जकों के लिए N2O किलोग्राम /व्यक्ति के आंकड़े चीन 1.3, अमेरिका 1.7, ब्राजील 2.5 और रूस 3.3 हैं।

नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) ग्रीनहाउस गैस है जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में वायुमंडल को अधिक गर्म करने की क्षमता है। कार्बन डाइऑक्साइड या मीथेन की तुलना में N2O वायुमंडल में बहुत कम  मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन इसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता 100 साल के समय के पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 300 गुना है।

N20 एक मजबूत ओजोन-क्षयकारी पदार्थ भी है।  2022 में वायुमंडलीय N2O की सांद्रता 336 भाग प्रति बिलियन तक पहुँच गई या औद्योगिक युग से पहले देखे गए स्तरों से लगभग 25% अधिक है।

नाइट्रस ऑक्साइड वायुमंडल में लंबे समय तक रहता है और तेज़ी से बढ़ रहा है, हाल के वर्षों में वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि इसे भी अधिक तत्परता से निपटा जाना चाहिए।

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