ट्रू रैंडम नंबर जनरेटर (TRNG) का विकास
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग (ईसीई) की एक टीम द्वारा एक ट्रू रैंडम नंबर जनरेटर/ (true random number generator: TRNG) विकसित किया गया है।
- शोध दल के अनुसार, TRNG डेटा एन्क्रिप्शन में सुधार कर सकता है और संवेदनशील डिजिटल डेटा जैसे क्रेडिट कार्ड विवरण, पासवर्ड और अन्य व्यक्तिगत जानकारी के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकता है। डिवाइस का वर्णन करने वाला अध्ययन एसीएस नैनो पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
TRNG का महत्व
- इंटरनेट पर हम जो कुछ भी करते हैं वह सुरक्षा के लिए एन्क्रिप्टेड होता है। इस एन्क्रिप्शन की ताकत रैंडम नंबर प्राप्त करने की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।
- एन्क्रिप्टेड सूचना को केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं द्वारा ही डिकोड किया जा सकता है जिनके पास क्रिप्टोग्राफ़िक ‘कुंजी’ (key) तक पहुंच होती है।
- लेकिन key को ऐसी होनी चाहिए कि उसका अनुमान नहीं लगाया जा सके और इसलिए, हैकिंग का विरोध करने के लिए इसे रैंडमली ढंग से उत्पन्न होना चाहिए।
- क्रिप्टोग्राफिक कीज (Cryptographic keys ) आमतौर पर छद्म यादृच्छिक संख्या जनरेटर (pseudorandom number generators) का उपयोग करके कंप्यूटर में उत्पन्न होती हैं, जो गणितीय सूत्रों या पूर्व में प्रोग्राम की गयी टेबल पर निर्भर करती हैं जो रैंडम दिखाई देती हैं लेकिन होती नहीं हैं।
- इसके विपरीत, एक TRNG स्वाभाविक रूप से रैंडम फिज़िकल प्रक्रियाओं से रैंडम नंबर्स निकालता है, जिससे यह अधिक सुरक्षित हो जाता है।
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