छठी अखिल भारतीय प्रिजन ड्यूटी मीट-जेल में सुधारों पर बल
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 4 सितंबर को अहमदाबाद के कांकरिया में छठी अखिल भारतीय प्रिजन ड्यूटी मीट (6th All India Prison Duty Meet) का उद्घाटन किया।
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPR&D) द्वारा तीन दिन की प्रिजन मीट का आयोजन किया गया था।
श्री अमित शाह ने कहा कि गुजरात में दूसरी बार इस मीट का आयोजन किया जा रहा है और यह बहुत संयोग की बात है कि गुजरात में जब पहली प्रिज़न मीट हुई थी तब श्री नरेन्द्र मोदी जी राज्य के मुख्यमंत्री थे।
जेल सुधार से संबंधित प्रमुख विषय पर चर्चा
जेल प्रशासन भी देश की आंतरिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग है और हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते। समाज में जेल को जिस दृष्टि से देखा जाता है उसे भी बदलने की ज़रूरत है।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि अगर दण्ड नहीं होगा तो भय नहीं होगा, भय नहीं होगा तो अनुशासन नहीं होगा और अनुशासन नहीं होगा तो हम स्वस्थ समाज की कल्पना नहीं कर सकते। इसलिए दण्ड की प्रक्रिया बहुत ज़रूरी है परंतु जेल प्रशासन की भी यह ज़िम्मेदारी है कि अगर कोई स्वभावगत और आदतन क्रिमिनल नहीं हैं तो वह ऐसे सभी क़ैदियों को समाज में पुनः बसाने का माध्यम बने।
सजा मिलने वालों में से 90% कैदी ऐसे होते हैं जिनका समाज में पुनर्वास बहुत महत्वपूर्ण है, न केवल मानवीय दृष्टि बल्कि कानून और व्यवस्था की दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण है।
बहुत व्यापक समीक्षा कर पुराने जेल मैनुअल की जगह 2016 में एक मॉडल जेल मैनुअल लाया गया। अभी सिर्फ 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही इस जेल मैनुअल अपनाया है। गृह मंत्री ने सभी राज्यों से आग्रह किया कि वे अविलंब मॉडल जेल मैनुअल 2016 को स्वीकार करें और अपने अपने राज्यों में इसके आधार पर जेल सुधार के कार्यक्रम को आगे बढ़ाएँ।
मॉडल जेल मैनुअल में अनेक सुधारात्मक बिंदु समाहित किए गए हैं और इसमें कैदियों के मानव अधिकार,सुधार व पुनर्वसन और नियम व कानून में बुनियादी एकरूपता लाने के लिए जेल में कंप्यूटरीकरण पर जोर दिया गया है। इसमें महिला कैदियों के अधिकारों के लिए विशेष प्रावधान के साथ ही आफ्टर केयर की सुविधा, जेल निरीक्षण के लिए अच्छी वैज्ञानिक नियमावली, मौत की सजा प्राप्त कैदियों के अधिकार है और जेल सुधार से जुड़े कर्मचारियों के लिए भी अनेक अच्छे प्रावधान किए गए हैं।
प्रिजन मैनुअल के बाद सरकार अब मॉडल जेल एक्ट भी लाने वाली है जिससे अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे एक्ट में समयानुकूल जरूरी परिवर्तन होगा। अभी सभी राज्यों के साथ इस पर व्यापक चर्चा हो रही है और भरोसा है कि अगले 6 माह के अंदर ही एक मॉडल जेल एक्ट लाया जाएगा जो देश की सभी जेलों को अत्याधुनिक बनाएगा।
सभी राज्यों को जेलों में ओवरक्राउडिंग की दिशा में भी में सोचना पड़ेगा क्योंकि जब तक ओवरक्राउडिंग कम नहीं की जाती तब तक जेल प्रशासन को बेहतर नहीं बनाया जा सकता। गृह मंत्री ने राज्यों से अनुरोध किया कि इससे निपटने के लिए हर राज्य को प्रत्येक जिला जेल में कोर्ट के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा उपलब्ध करनी चाहिए।
श्री शाह ने कहा कि रेडिकलाइजेशन का प्रचार प्रसार करने वालों और नारकोटिक्स के गुनाह में जेल में बंद कैदियों को अलग रखने की व्यवस्था करने की भी जरूरत है।
उन्होने कहा कि जेल के अंदर गिरोह कंट्रोल करने के लिए भी बहुत सारी सूचनाएं मैनुअल के अंदर दी गई हैं। इस देश में कारागार क्षेत्र की अनदेखी की गई और और जेल एक नेगलेक्टेड फील्ड रही है।
उन्होने राज्यों से अनुरोध करते हुए कहा कि कई ऐसे राज्य हैं जिनमें आज भी अंग्रेजों द्वारा बनाई हुई जेल जस की तस है। आज इनका मॉडर्नाइजेशन करने के साथ ही इन्हें टेक्नोलॉजी से युक्त करना,सुरक्षा की दृष्टि से चुस्त-दुरुस्त बनाना और कैदियों के अच्छे रहने की व्यवस्था करना बहुत जरूरी है। कैदियों के लिए लाइब्रेरी बनाना, उन्हे अनेक प्रकार की शिक्षा से युक्त कर पुनर्वसन योग्य बनाना, उनके स्वास्थ्य की चिंता करते हुए जेल में ही अच्छा अस्पताल और मानसिक विकास के लिए अनेक प्रकार के कार्यक्रम शुरु किए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में जो कैदी आते थे वे ज्यादातर राजनीतिक कैदी होते थे, उनको यातना देना अंग्रेजों का अपना शासन बरकरार रखने का एक माध्यम हो सकता था मगर अब देश आजाद हो चुका है और कारावास के प्रति दृष्टिकोण का फिर से मूल्यांकन करने की जरूरत है।